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मुंबई नाव हादसा: कैप्टन श्रीवास्तव ने अपनी छोटी नाव से 57 लोगों को कैसे बचाया?
मुंबई नाव हादसे में कैप्टन श्रीवास्तव ने 56 लोगों की जान बचाई

मुंबई नाव हादसा: कैप्टन श्रीवास्तव ने अपनी छोटी नाव से 57 लोगों को कैसे बचाया?

लेखन आबिद खान
Dec 21, 2024
01:28 pm

क्या है खबर?

18 दिसंबर को मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास एक पर्यटक नाव हादसे का शिकार हो गई थी, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। आसपास मौजूद नाविकों और रेस्क्यू टीमों ने कई लोगों को बचा लिया था, वरना मृतकों का आंकड़ा और बढ़ सकता था। घटना के समय वहीं मौजूद कैप्टन अनमोल श्रीवास्तव ने भी अपनी 12 लोगों की क्षमता वाली नाव से 56 लोगों की जान बचाई। आइए उनकी कहानी जानते हैं।

देरी

कार्गो लोड करने में हुई देरी, इसलिए बच गए लोग

कैप्टन श्रीवास्तव जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह में आने-जाने वाले बड़े मालवाहक जहाजों को संभालते हैं। हादसे वाले दिन भी वे ड्यूटी पर थे। उन्हें दोपहर 1.45 बजे एक मालवाहक जहाज को एस्कॉर्ट करना था। हालांकि, जहाज का कार्गो लोड करने में करीब एक घंटे की देरी हो गई। इस वजह से कैप्टन श्रीवास्तव जहाज को एस्कॉर्ट करने के बजाय बंदरगाह पर लौट रहे थे। तभी उन्हें नाव के दुर्घटनाग्रस्त होने की सूचना मिली।

बयान

नाव से चिपके हुए थे बच्चे- श्रीवास्तव

इंडिया टुडे से बात करते हुए श्रीवास्तव ने कहा, "हमें एहसास हुआ कि हम 5 मिनट के भीतर दुर्घटना वाले स्थान पर पहुंच सकते हैं। इसके बाद हम तेजी से वहां पहुंच गए। वहां पहुंचने के बाद हमने देखा कि नाव लगभग पूरी तरह डूब चुकी थी और बच्चे समेत कई यात्री नौका के बचे हुए हिस्सों से चिपके हुए थे। कुछ माता-पिता अपने बच्चों को पानी के ऊपर पकड़े हुए थे।"

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बचाव

श्रीवास्तव ने नाव में कैसे बैठाए 57 लोग?

इसके बाद श्रीवास्तव और उनकी टीम ने तुरंत लोगों को नाव पर खींचने के लिए लाइफ जैकेट और सीढ़ियां उतारीं। उन्होंने कहा, "लोग घबराए हुए थे। हर कोई नाव में चढ़ना चाहता था। हमने सबसे पहले बच्चों, फिर बुजुर्ग महिलाओं और फिर पुरुषों को चढ़ाया।" नाव में सिर्फ 12 लोग बैठ सकते थे, लेकिन श्रीवास्तव ने नाव का बॉइअन्सी फोर्स (तरल में डूबी वस्तु पर ऊपर की ओर लगने वाला बल) की गणना कर 57 लोगों को बैठा लिया।

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 सम्मान

गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किए जाएंगे श्रीवास्तव

श्रीवास्तव द्वारा बचाए गए लोगों में एक 7 साल का बच्चा भी था, जो CPR दिए जाने के बावजूद बच नहीं पाया। श्रीवास्तव ने कहा, "एक नाविक के रूप में मुझे समुद्र में जीवन की सुरक्षा के सिद्धांतों का पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। यह सौभाग्य था कि हम दुर्घटनास्थल के पास थे।" जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह प्राधिकरण (JNPA) ने घोषणा की है कि कैप्टन श्रीवास्तव को उनकी असाधारण बहादुरी के लिए गणतंत्र दिवस पर सम्मानित किया जाएगा।

माता-पिता 

बच्चों को पानी में फेंकना चाह रहे थे माता-पिता

PTI के मुताबिक, नाव के डूबने के बाद घबराये माता-पिता अपने बच्चों को समुद्र में फेंकने की सोच रहे थे, लेकिन बचाव दलों ने उन्हें ऐसा करने से मना किया। CISF कांस्टेबल अमोल सावंत ने PTI से कहा, "हमने देखा कि लोग बच्चों को समुद्र के पानी में फेंकने के लिए तैयार थे, यह सोचकर कि वे डूबती नाव से बच जाएंगे। मैंने उनसे कहा कि वे घबराएं नहीं और ऐसा न करें। हमने जल्द ही स्थिति को संभाल लिया।"

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