#NewsBytesExplainer: क्या है मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना, जिसके खिलाफ याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज?
मुंबई-अहमदाबाद के बीच देश की पहली बुलेट ट्रेन के संचालन का सपना साकार होने की उम्मीद बढ़ गई है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज गोदरेज एंड बॉयस कंपनी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जो महाराष्ट्र सरकार द्वारा विखरोली क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि इस परियोजना का राष्ट्रीय महत्व है और जनहित में भी यह जरूरी है। आइये मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को विस्तार से समझते हैं।
क्या है बुलेट ट्रेन परियोजना?
2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने देश में पहली बुलेट ट्रेन चलाने का वादा किया था। चुनाव में उनकी जीत के बाद 2017 में मुंबई-अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर लंबी बुलेट ट्रेन परियोजना का शिलान्यास हुआ। इस परियोजना पर कुल 1.1 लाख करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जिसका 81 प्रतिशत जापान इंटरनेशनल कॉ-ऑपरेशन एजेंसी से 50 साल के लिए 0.1 प्रतिशत ब्याज दर पर आएगा। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) कंपनी इस पर काम कर रही है।
बुलेट ट्रेन में क्या कुछ रहेगा खास?
बुलेट ट्रेन अहमदाबाद से मुंबई के बीच करीब 508 किलोमीटर की दूरी तय करेगी और इससे आठ घंटे के सफर का समय घटकर तीन घंटे रह जाएगा। इस बीच रास्ते में 12 स्टेशन पड़ेंगे। ट्रेन जमीन से ऊपर ब्रिज पर ही दौड़ेगी, जबकि 21 किलोमीटर का सफर अंडरग्राउंड टनल से होगा। इस ट्रेन में 750 यात्रियों के बैठने की सुविधा होगी और इसकी टॉप स्पीड 350 किलोमीटर प्रति घंटे के करीब होगी।
कब पूरी हो जाएगी परियोजना?
जापान के सहयोग से तैयार की जा रही देश की पहली बुलेट ट्रेन के लिए 2022 तक की समयसीमा निर्धारित की गई थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण संबंधी विवाद के कारण परियोजना में देरी हो गई। हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मुंबई में बुलेट ट्रेन के लिए नदी पर बनाये जा रहे 320 मीटर लंबे पुल की तस्वीर साझा की थी। इसके साथ उन्होंने कहा था कि साल 2026 में यह परियोजना पूरी हो जाएगी।
भूमि अधिग्रहण को लेकर क्या था विवाद?
मुंबई-अहमदाबाद के बीच कुल 508 किलोमीटर के रेलवे ट्रैक का 21 किलोमीटर हिस्सा अंडरग्राउंड रहेगा। जहां ये अंडरग्राउंड ट्रैक बनेगा, उसका एक एंट्री प्वाइंट मुंबई के विखरोली में पड़ता है, जो गोदरेज की जमीन है। महाराष्ट्र सरकार ने गोदरेज को जमीन के बदले 264 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि का आदेश जारी किया था, जिसके खिलाफ गोदरेज ने 5 सितंबर, 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और मुआवजा राशि को कम बताया था।
याचिका पर कोर्ट में सरकार ने क्या कहा?
राज्य सरकार ने कोर्ट में कहा कि गोदरेज के भूमि अधिग्रहण न करने देने के चलते पूरी परियोजना में देरी हो रही है और विखरोली क्षेत्र को छोड़कर परियोजना मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण कार्य पूरा हो चुका है। सरकार ने बताया कि पिछले साल सितंबर में गोदरेज को 264 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी हुआ था। उसने कहा कि इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है और जनहित में परियोजना बहुत ही महत्वपूर्ण है।
बॉम्बे कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण की मुआवजा राशि को लेकर गोदरेज द्वारा दायर याचिका में यह मानने से इनकार कर दिया है कि पहले राज्य सरकार की ओर से 572 करोड़ रुपये मुआवजा तय किया गया था और फिर 264 करोड़ रुपये का आदेश जारी कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय हित में यह परियोजना महत्वपूर्ण है और जनहित में इसका समय पर पूरा होना जरूरी है। इस याचिका को इसी आधार पर रद्द किया गया।