
धरती पर नहीं है 820 करोड़ लोग, अंतरराष्ट्रीय स्तर के अध्ययन में साबित हुआ गलत
क्या है खबर?
क्या धरती सच में 820 करोड़ इंसानी लोगों का भार उठा रही है? अभी तक सामने आए आंकड़ों में यही अनुमान है, लेकिन हाल के एक अध्ययन में पता चला कि ऐसा नहीं है।
नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के शोधकर्ता ने बताया कि आंकड़े गलत हो सकते हैं और यह इंसानों की आबादी की सटीक गणना नहीं है।
फिनलैंड के आल्टो विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टरल शोधकर्ता और अध्ययन के मुख्य लेखक जोसियास लैंग-रिटर ने इसकी पुष्टि की है।
आबादी
कैसे किया अध्ययन?
जोसियास का कहना है कि 35 देशों में 300 ग्रामीण बांध परियोजनाओं का अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे और कहा कि ये संख्याएं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए सही ढंग से हिसाब नहीं रखती हैं।
उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली वास्तविक आबादी वैश्विक जनसंख्या डेटा से कहीं ज़्यादा है, डेटासेट के आधार पर अध्ययन अवधि में ग्रामीण आबादी को 53 प्रतिशत से 84 प्रतिशत तक कम आंका गया है।
अध्ययन
अध्ययन आबादी की संख्या को गलत कैसे बता रहा?
अध्ययन में सटी जनसंख्या आंकड़ों के लिए, उन्होंने जल संसाधन प्रबंधन में अपनी पृष्ठभूमि का उपयोग किया।
उन्होंने 35 देशों की ग्रामीण बांध परियोजनाओं से जनसंख्या आंकड़े एकत्र करके उन्हें वर्ल्डपॉप, GWP, GRUMP, लैंडस्कैन और GHS-PoP (जिनका इस अध्ययन में भी विश्लेषण था) जैसे संगठनों द्वारा गणना की गई अन्य जनसंख्या योगों के साथ मिलान किया।
उन्होंने इसे विश्वसनीय बताया और कहाकि जब बांध बनते हैं तो क्षेत्र के लोग स्थानांतरित होते हैं और उनकी गिनती ठीक से होती है।