सोहराबुद्दीन मामले में CBI कोर्ट का फैसला- सबूतों के अभाव में सभी 22 आरोपी बरी
सोहराबुद्दीन मामले में CBI की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। जज एसजे शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पर्याप्त सबूत न होने की वजह से आरोपियों को बरी किया जाता है। कोर्ट ने कहा अगर गवाह पलट जाते हैं तो इसमें पुलिस की गलती नहीं है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि CBI यह सिद्ध नहीं कर पाई कि पुलिस ने सोहराबुद्दीन को हैदराबाद से अगवा किया था।
मामले में 210 गवाहों की गवाही
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार और जांच एजेंसियों ने इस मामले में काफी मेहनत की। इस मामले में 210 गवाहों की गवाही हुई थी, लेकिन उनसे कोई सबूत नहीं मिल पाया। साथ ही कई गवाह अपने बयान से पलट गए थे। जज ने फैसले में लिखा कि सभी गवाह और सबूत साजिश और हत्या को साबित करने के लिए काफी नहीं थे। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले से जुड़े परिस्थितिजन्य सबूत भी पर्याप्त नहीं है।
कोर्ट ने कहा- हम असहाय हैं
क्या था सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला
यह मामला साल 2005 का है। गुजरात STF और राजस्थान STF ने अहमदाबाद के पास मध्यप्रदेश के अपराधी सोहराबुद्दीन शेख का एनकाउंटर किया था। उस पर एक बड़े नेता की हत्या की साजिश रचने का आरोप था। इसके लगभग एक साल बाद सोहराबुद्दीन के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति को भी मुठभेड़ में मारा गया था। तुलसीराम की मां नर्मदाबाई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया, जिसके बाद मामले की जांच गुजरात CID को सौंपी गई।
2010 से CBI कर रही है मामले की जांच
साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच गुजरात CID से लेकर CBI को सौंप दी। CBI ने कुल 38 आरोपियों ने नामों के साथ चार्जशीट दाखिल की। CBI की इस चार्जशीट में मौजूदा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राजस्थान के पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, पुलिस अधिकारी डीजी बंजारा जैसे बड़े नाम शामिल थे। अब तक यह मामला गुजरात में चल रहा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में इसे मुंबई ट्रांसफर कर दिया।
सुनवाई कर रहे जज की संदिग्ध हालात में हुई थी मौत
मुंबई में केस ट्रांसफर करने के बाद इस मामले की सुनवाई CBI के विशेष जज जेटी उतप्त कर रहे थे। उनके तबादले के बाद जस्टिस बीएच लोया इस मामले की सुनवाई कर रहे थे। दिसंबर, 2014 में जस्टिस लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। उनके बाद नई पीठ ने मामले की सुनवाई की। दिसंबर, 2014 में ही अमित शाह को इस मामले से बरी कर दिया गया था। इसी साल कुल 16 आरोपियों को बरी किया गया था।