#Exclusive: कोरोना वायरस ने बदला बाजार का स्वभाव, कहीं सुरक्षा जरुरी तो कहीं व्यापार
क्या है खबर?
बड़े शहरों का "शिकार" करने के बाद गावों तक पहुंच चुके कोरोना वायरस के बीच अर्थव्यवस्था चलाने के लिए सरकार ने 'अनलॉक 1' लागू किया और ज्यादातर दुकानों को नियमों के साथ खोल दिया गया।
न्यूजबाइट्स की टीम ने ये जानने के लिए कि लोग कितनी एहतियात बरत रहे हैं, कुछ बाजारों और शॉपिंग माल्स का दौरा किया।
लोकल बाजारों और बड़े माल्स में जो अंतर हमें देखने को मिला वह काफी चौंकाने वाला था।
जानिए कैसा रहा हमारा अनुभव।
शॉपिंग मॉल्स
शॉपिंग मॉल्स में थर्मल स्क्रीनिंग के बाद दिया जा रहा प्रवेश
राजस्थान के जयपुर में स्थिति गौरव टावर और क्रिस्टल कोर्ट समेत हरियाणा के कई माल्स में हमें बदला हुआ नजारा दिखा।
पहले जहां इन मॉल्स में एंट्री पर गार्ड्स द्वारा हाथ जोड़कर नमस्ते और चेकिंग करने के बाद लोगों को प्रवेश दिया जाता था, वहीं अब मास्क और ग्लव्स पहने गार्ड्स लोगों का तापमान जांचते हैं, सैनिटाइजर से हाथ साफ करवाते हैं और कई जगह आरोग्य सेतु ऐप भी चेक करते हैं।
गार्ड्स द्वारा हाथों से चेकिंग अब नहीं होती।
जानकारी
लोकल बाजार में नहीं नजर आए सुरक्षा के बंदोबस्त
मॉल्स में जहां ग्राहकों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम नजर आए, वहीं शहर के लोकल बाजारों में सुरक्षा की जगह व्यापार को महत्व मिलता दिखाई दिया। यहां की दुकानों पर ना तो थर्मल स्कि्रनिंग की सुविधा थी और ना ही सैनिटाइजर।
शोरूम
शोरूमों में कपड़ों की खरीददारी का बदला तरीका
माल्स में हम कई गारमेंट कंपनियों के शोरूम पहुंच गए। वहां भी थर्मल स्क्रीनिंग और सैनिटाइजर से हाथ साफ कराने के बाद ही अंदर प्रवेश दिया गया।
हमने कपड़े दिखाने को कहा तो ग्लवज और मास्क पहने सेल्समैन ने साइज के अनुसार कपड़े दिखाए, लेकिन उनका ट्रायल लेने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण ट्रायल रूम सुविधा बंद कर दी गई है।
वहां हमारे द्वारा छूए गए सभी कपड़ों को सैनिटाइज भी किया जा रहा था।
जानकारी
शोरूम में पानी नहीं, आम दुकानों पर खुली छूट
बाजार के दोहरे रूप में बड़ी बात नजर आई कि शोरूमों में पानी पिलाने को बोला गया तो बोतलबंद पानी खरीदने की सलाह दी गई, लेकिन आम दुकानों पर एक ही गिलास से कैंपर से भरकर पानी पी सकते हैं। जिससे संक्रमण फैल सकता है।
नो एक्सचेंज
शोरूम संचालकों ने बंद किया एक्सचेंज सिस्टम
पहले जब लोग कपड़े खरीदकर घर ले जाते थे और उनके कोई कमी निकल आती थी तो वो बेझिझक उन्हें एक्सचेंज कराने पहुंच जाते थे, लेकिन अब शोरूम संचालकों ने संक्रमण से बचने के लिए एक्सचेंज सिस्टम को बंद कर दिया है।
इसके विपरीत लोकल बाजारों में ज्यादातर जगहों पर ऐसी कोई सावधानी नहीं बरती जा रही है। यहां आप "बिका हुआ माल वापिस नहीं होगा" वाली दूकान पर भी आसानी से कोई भी सामान कभी भी बदल सकते हैं।
नजरिया
शोरूम संचालकों ने सुरक्षा को बताया महत्वपूर्ण
जयपुर में लीवरपूल शोरूम के संचालक सुनील पंडा और डिस्काउंट मास्टर के संचालक पिंकू जायसवाल ने कहा कि कोरोना ने व्यवसाय चौपट कर दिया है। पहले प्रतिदिन 200-300 से अधिक ग्राहक आते थे, वहीं अब महज 10-20 पहुंच रहे हैं।
बिना ट्रायल कपड़े खरीदने से कतरा रहे ग्राहकों का कहना है कि बिना ट्रायल रेडिमेड कपड़ा नहीं खरीदा जा सकता है।
संचालकों का कहना था कि भले ही व्यवसाय चौपट हो रहा हो, लेकिन लोगों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है।
आम दुकानें
लोकल बाजार में नजर आया पहले जैसा माहौल
हम कई लोकल बाजारों में गए, लेकिन ज्यादातर में हमें लगा जैसे कोरोना वायरस जैसा कोई डर है ही नहीं।
बाजारों में पहले की तरह भीड़ दिखी। थर्मल स्क्रीनिंग तो दूर की बात है, ज्यादातर में सोशल डिस्टैसिंग का पालन भी नहीं हो रहा था। जो कपड़ा चाहो छूओ और जिसकी चाहो ट्रायल ले लो।
इस हालत को देखकर ऐसा लगा कि मानों लोग पैसे के लिए अपनी और ग्राहक की जिंदगी दाव पर लगाने में जुटे हैं।
बयान
"पाबंदी लागू करेंगे तो कैसे चलेगा घर का खर्च"
राजस्थान के दौसा जिले के लोकल मार्केट में गारमेंट की दुकान करने वाले व्यापारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, "लॉकडाउन के कारण पहले ही हम ढाई महीने घर बैठे रहे। एक रुपये की कमाई नहीं हुई और पूरी बचत खर्च हो गई। अब भी यदि पाबंदियों को लागू किया जाएगा तो घर का खर्च कैसे चलेगा।"
उन्होंने कहा कि वे ग्राहक को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को बोलकर उनकी छोटी दुकान से भगा नहीं सकते।
जानकारी
लोकल बाजार में नजर नहीं आई डिजीटल पेमेंट की सुविधा
कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मॉल्स के शोरूमों में जहां भुगतान के लिए डिजीटल पेमेंट को प्राथमिकता दी जा रही थी, वहीं लोकल बाजार में ऐसा कुछ नजर नहीं आया। अधिकतर दुकानों पर नकद में ही भुगतान किया जा रहा था।
सवाल
फिर कैसे होगी कोरोना वायरस से सुरक्षा?
लोकल बाजारों में व्यवसाय की चाहत या पेट की खातिर गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ रही हैं।
बाजार खुलने से खरीददारों-दुकानदारों में उत्साह है, लेकिन लोग मास्क गले में लटकाकर घूमेंगे और ऐसे हालात होंगे तो ये उत्साह कभी भी गम में बदल सकता है।
बिना एहतियात बरते गांवों तक पहुंच चुके कोरोना के कहर से कैसे बचा जाए?
रोजाना बड़े शहरों के "नंबर गिनने" के साथ-साथ हमें गावों और लोकल बाजारों में क्या चल रहा है, यह भी देखना होगा।