
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामला: इलाहाबाद हाई कोर्ट का शाही ईदगाह को विवादित ढांचा घोषित करने से इनकार
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई में हिंदू पक्ष को इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाही मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने याचिका खारिज करते हुए मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को निर्धारित की है।
सुनवाई
हिंदू पक्ष ने याचिका में क्या कहा था?
याचिका हिंदू पक्ष के महेंद्र प्रताप सिंह ने 5 मार्च, 2025 को दायर किया था, जो मंदिर परिसर के पास शाही ईदगाह द्वारा भूमि पर कथित कब्जे से संबंधित 18 मामलों का हिस्सा थी। याचिका में दावा था कि ईदगाह निर्माण जन्मभूमि पर प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया, इसलिए इसे विवादित ढांचा घोषित किया जाना चाहिए। सिंह ने मासिर-ए-आलमगिरी और मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस की ऐतिहासिक पुस्तकों का जिक्र किया, जिसका मुस्लिम पक्ष ने विरोध किया।
विवाद
क्या है विवाद?
कृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। 12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया। समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों बनने की बात हुई। इसके तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह के पास है। अब हिंदू पक्ष ने मस्जिद की 2.5 एकड़ जमीन पर भी दावा किया है।
समझौता
1968 में क्यों और क्या समझौता हुआ?
कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, 1968 से पहले परिसर का ज्यादा विस्तार नहीं था और 13.77 एकड़ भूमि पर कई धर्मों के लोग बसे थे। समझौते के तहत जमीन पर बसे मुस्लिमों को जगह छोड़ने को कहा गया और मस्जिद और मंदिर को एक साथ संचालित करने के लिए सीमाएं खींची गईं। यह भी सुनिश्चित किया कि मस्जिद में मंदिर की ओर कोई खिड़की, दरवाजा या खुला नाला नहीं होगा। मंदिर और मस्जिद के बीच एक दीवार भी बनाई गई।