सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित 17वीं सदी की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आयोग द्वारा मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश पर रोक लगाते हुए न्यायाधीश संजीव दत्ता और दीपांकर दत्ता की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट ने सर्वव्यापी निर्देशों की मांग करने वाली एक अस्पष्ट याचिका पर ये आदेश जारी किया था।
दिसंबर में हाई कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिसंबर में हिंदू पक्ष का अनुरोध स्वीकार करते हुए श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे की अनुमति दी थी। इस आदेश के खिलाफ मस्जिद इंतजामिया समिति और सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसी याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया और कहा कि हिंदू पक्ष ने हाई कोर्ट में जो आवेदन दायर किया था, वो स्पष्ट नहीं था कि उसे कोर्ट से क्या चाहिए।
अब 23 जनवरी को होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि मामले में सिविल कोर्ट और हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रह सकती है। इसमें स्थानांतरण का मुद्दा भी अहम है और कुछ कानूनी प्रश्न भी उठते हैं। अब अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी।
हिंदू पक्ष क्यों कर रहा है सर्वे की मांग?
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर की भूमि पर बनी हुई है और मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई थी। उनके अनुसार, मस्जिद के एक हिंदू मंदिर पर बने होने के सबूत मिले हैं, जिनमें कमल के आकार का स्तंभ और भगवान कृष्ण से जुड़े शेषनाग की छवि शामिल हैं। उन्होंने इसी कारण मस्जिद का सर्वे कराने की मांग की है। उनके अनुसार, शाही मस्जिद समेत पूरी विवादित भूमि श्रीकृष्ण विराजमान की है।
क्या है श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद?
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है। 12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया। समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों बनने की बात हुई। इसके तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह के पास है। अब हिंदू पक्ष ने मस्जिद की 2.5 एकड़ जमीन पर भी दावा किया है।
1968 में क्या समझौता हुआ था?
कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, 1968 से पहले परिसर का ज्यादा विस्तार नहीं था और 13.77 एकड़ भूमि पर कई धर्मों के लोग बसे थे। समझौते के तहत जमीन पर बसे मुस्लिमों को जगह छोड़ने को कहा गया और मस्जिद और मंदिर को एक साथ संचालित करने के लिए सीमाएं खींची गईं। यह भी सुनिश्चित किया कि मस्जिद में मंदिर की ओर कोई खिड़की, दरवाजा या खुला नाला नहीं होगा। मंदिर और मस्जिद के बीच एक दीवार भी बनाई गई।