पाकिस्तान पर हमला करने को तैयार थे मनमोहन सिंह, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री का खुलासा
अपनी नरम छवि के लिए चर्चित भारत के पू्र्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एक और आतंकी हमला होने पर पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई करने को पूरी तरह तैयार थे। ये बात ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने अपनी किताब 'फॉर द रिकॉर्ड' में कही है। प्रधानमंत्री के तौर पर मनमोहन सिंह से हुई बातचीत के आधार पर कैमरन ने ये दावा किया है। अपनी किताब में उन्होंने मनमोहन को 'संत पुरुष' बताया है।
'भारत के सामने खड़े खतरों पर सख्त थे मनमोहन सिंह'
कैमरन की किताब 'फॉर द रिकॉर्ड' को गुरुवार को लॉन्च किया गया। इसमें उन्होंने लिखा है, 'मेरी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ अच्छी बनती थी। वह एक संत पुरुष थे, लेकिन भारत के सामने खड़े खतरों पर वो सख्त थे। मेरे एक दौरे के समय उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर पाकिस्तान जुलाई 2011 में मुंबई में किए गए आतंकी हमले जैसा एक और हमला करता है तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेगा।'
क्या हुआ था मुंबई 2011 बम धमाकों में?
13 जुलाई, 2011 को मुंबई तीन बम धमाकों से दहल उठा था। ये धमाके ओपेरा हाउस, झावेरी बाजार और दादर इलाके में हुए थे। व्यस्त घंटों के दौरान हुए इन धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 130 घायल हुए थे। पहले धमाकों में पाकिस्तान का हाथ होने की आशंका उठी थी, लेकिन बाद में जांच में सामने आया कि इंडियन मुजाहिदीन (IM) ने इन धमाकों को अंजाम दिया था और यासीन भटकल इसका मास्टरमाइंड था।
2008 में पाकिस्तानी आतंकियों ने किया था मुंबई पर सबसे बड़ा हमला
इससे पहले 26 नवंबर, 2008 को मुंबई पर पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमला किया था। भारत के इतिहास के इस सबसे बड़े आतंकी हमले में 167 लोग मारे गए थे, जबकि 300 से अधिक घायल हुए थे। हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सारे विकल्पों पर विचार के बाद कूटनीतिक माध्यमों से पाकिस्तान पर कार्रवाई की मंजूरी दी थी।
सैन्य कार्रवाई न करने के लिए विरोधी करते हैं मनमोहन की आलोचना
मनमोहन ने इस दौरान पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई और एयर स्ट्राइक जैसे विकल्पों पर भी विचार किया था, लेकिन इसमें शामिल खतरों को देखते हुए इन्हें टाल दिया था। सैन्य कार्रवाई न करने के कारण विरोधी उन पर आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के मोर्चे पर कमजोर और नरम होने का आरोप लगाते हैं। कमजोर प्रधानमंत्री की उनकी छवि में इसका एक बड़ा योगदान है। हालांकि, कैमरन की किताब में कही गई बात दूसरी तस्वीर पेश करती है।
जलियांवाला बाग हत्याकांड शहीद स्मारक जाने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री हैं कैमरन
कैमरन ने अपनी किताब में जलियांवाला बाग हत्याकांड पर माफी न मांगने की घटना का जिक्र भी किया है। कैमरन फरवरी 2013 में अपने भारत दौरे के समय जलियांवाला बाग हत्याकांड शहीद स्मारक गए थे और इसे 'ब्रिटिश इतिहास की एक बेहद शर्मनाक घटना' बताया था। वह शहीद स्मारक आने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री थे। उनके दौरे से पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि वह हत्याकांड पर माफी मांगेंगे, लेकिन उन्होने ऐसा नहीं किया।
'मुझे घटना पर खेद जताना उचित लगा'
माफी न मांगने पर कैमरन ने लिखा है, 'दौरे से पहले इस बात को लेकर आतंरिक विवाद हुआ था कि क्या मुझे माफी मांगनी चाहिए। अंत में मुझे लगा कि घटना पर खेद जताना उचित है। मुझे पता था कि उनके प्रधानमंत्री के ऐसा करने के ब्रिटिश सिखों के लिए क्या मायने हैं और मैं खुश हूं कि मैंने ये किया।' उन्होंने लिखा है कि ब्रिटेन के सबसे सफल कारोबियों में कई भारतीय हैं और उन्हें भारतीयों पर गर्व है।
2010 से 2016 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे कैमरन
कैमरन 2010 से 2016 तक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे थे। 2016 में जनमत संग्रह का परिणाम ब्रेक्जिट के समर्थन में आने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। अपने कार्यक्रम के दौरान उन्होंने तीन बार भारत का दौरा किया।