किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम मुद्दे पर बातचीत से किया इनकार, बोले- ये सब कुछ माइंडगेम है
क्या है खबर?
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम के मुद्दे पर बातचीत से इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने कॉलेजियम के मुद्दे को 'माइंडगेम' भी करार दिया है।
उन्होंने कहा, "कॉलेजियम का मुद्दा पूरी तरह माइंडगेम का है। मैं इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता हूं।"
दरअसल, रिजिजू ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्तिों सहित केंद्र सरकार के समक्ष लंबित कॉलेजियम की विभिन्न सिफारिशों के बारे में पूछे जाने पर ये टिप्पणी की है।
रिजिजू
रिजिजू ने कहां दिया बयान?
अरुणाचल प्रदेश में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिशों को लेकर पूछे सवाल पर चुप्पी साध ली। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में कुछ भी नहीं बोलना चाहते हैं। हालांकि, पूर्व में रिजिजू कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं।
कानून मंत्री रिजिजू अरुणाचल प्रदेश के इटानगर में 4G सेवाओं के लिए 254 मोबाइल टावर उद्घाटन कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे थे।
बयान
इलाहाबाद हाई कोर्ट के कार्यक्रम में दिया था विवादित बयान
फरवरी में रिजिजू ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक कार्यक्रम में विवादित बयान किया था।
उन्होंने कहा था, "मैंने मीडिया में देखा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने चेतावनी दी है। इस देश के मालिक यहां के लोग हैं, हम सिर्फ सेवक हैं। हमारी गाइड संविधान है। संविधान के अनुसार देश चलेगा। कोई किसी को चेतावनी नहीं दे सकता है।"
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपनी सिफारिशों और न्यायाधीशों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर सरकार को चेताया था।
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार की अनदेखी पर की थी टिप्पणी
केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच काफी लंबे समय से तनातनी चल रही है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र सरकार द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सुझाए नामों की अनदेखी को गंभीर चिंता का विषय बताया था।
कॉलेजियम ने केंद्र सरकार से कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्तियों को लेकर हो रही किसी भी देरी से उम्मीदवारों की वरिष्ठता प्रभावित होती है।
ऐसे में कॉलेजियम ने सरकार से नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा था।
कॉलेजियम
क्या होता है कॉलेजियम सिस्टम?
सुप्रीम कोर्ट के 5 सबसे वरिष्ठ जजों के समूह को कॉलेजियम कहा जाता है।
यह कॉलेजियम ही जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर पर फैसला लेता है और तय नामों को केंद्र के पास भेजता है। राष्ट्रपति इन पर अंतिम मुहर लगाते हैं।
2014 में सरकार ने कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम बनाया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 16 अक्टूबर, 2015 को इसे खारिज करते हुए कॉलेजियम सिस्टम को बहाल कर दिया था।