NewsBytesExplainer: चीता हेलीकॉप्टर 60 साल बाद भी क्यों है भारतीय सशस्त्र बलों का अभिन्न अंग?
अरुणाचल प्रदेश में गुरुवार भारतीय सेना का एक चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह पहली बार नहीं है, जब कोई चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ हो। इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में भी एक चीता हेलीकॉप्टर तवांग में उड़ान के दौरान हादसे का शिकार हो गया था। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि लगातार हो रही दुर्घटनाओं के बावजूद भी भारतीय सशस्त्र बल इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल क्यों करते आ रहे हैं। आइये इसके पीछे की वजह जानते हैं।
अपने समय के सबसे बेहतरीन हेलीकॉप्टर्स में से एक है चीता हेलीकॉप्टर
भारतीय सेना में चीता हेलीकॉप्टर पिछले 60 सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा फ्रांस की कंपनी एयरोस्पेटियैल के लाइसेंस पर चीता हेलीकॉप्टर का निर्माण करती है। SA315 लामा हेलीकॉप्टर (चीता हेलीकॉप्टर) एक पुराना विमान है। इसे पहली बार 60 साल पहले 1969 में उड़ाया गया था। यह अपने समय के सबसे बेहतरीन हेलीकॉप्टर्स में से एक है। बीते कुछ सालों से HAL द्वारा निर्मित चेतक और चीता हेलीकॉप्टर दुर्घटना के लिए बदनाम हैं।
भारत को उच्च प्रदर्शन वाले चीता हेलीकॉप्टर की आवश्यकता
एक विमानन पत्रिका के मुताबिक, भारत में लामा हेलीकॉप्टर कार्यक्रम को 1960 के दशक शुरू किया था। इसका मकसद भारत के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के अलावा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सैन्य पहुंच को बढ़ाना था। आमतौर पर इस तरह के उच्च प्रदर्शन वाले हेलीकॉप्टर भारी होते हैं, लेकिन लामा कार्यक्रम के तहत फ्रांस में बने 5 सीट वाले हल्के SA313 हेलीकॉप्टर और 7 सीट वाले SA316 हेलीकॉप्टर के समिश्रण से शक्तिशाली SA315 हेलीकॉप्टर (चीता हेलीकॉप्टर) का निर्माण किया गया है।
असाधारण क्षमता के कारण SA315 लामा हेलीकॉप्टर ने बनाया रिकॉर्ड
पर्वतीय क्षेत्रों में यह SA315 लामा हेलीकॉप्टर बहुउपयोगी साबित हुआ। इसकी उच्च ऊंचाई के प्रदर्शन के लिए शुरुआत में ही सराहना की गई थी। यह जल्द ही साबित हो गया कि यह 1,000 किलोग्राम तक का भार उठा सकता है, जिसकी बराबरी कोई इस श्रेणी का हल्का विमान नहीं कर सकता। 21 जून, 1972 को एयरोस्पेटियैल टेस्ट पायलट जीन बोलेट ने इस हेलीकॉप्टर को 12,442 मीटर तक ऊंचाई पर उड़ाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था, जो आज भी कायम है।
सियाचिन जैसे इलाकों में चीता हेलीकॉप्टर की जरूरत
HAL ने 1970 में लामा के लिए एयरोस्पेटियैल के साथ एक लाइसेंस समझौते पर हस्ताक्षर किए और भारत निर्मित हेलीकॉप्टर को 'चीता' नाम दिया। कच्चे माल से निर्मित पहला चीता 1976-77 में डिलीवर किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, HAL ने अब तक भारत और विदेशों में को ऐसे कुल 279 हेलीकॉप्टर का निर्माण किया है। चीता हेलीकॉप्टर दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचिन में भारतीय सेना की रीढ़ रहा है।
क्या है चीता हेलीकॉप्टर की खासियत?
भारतीय सेना में चीता हेलीकॉप्टर कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। चीता हेलीकॉप्टर को HAL द्वारा बनाया गया है। यह 5 सीट वाला बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है। चीता हेलीकॉप्टर का वजन 1,950 किलोग्राम के करीब है और यह हेलीकॉप्टर 192 किलोमीटर प्रति घंटे की गति उड़ान भर सकता है। यह सियाचिन जैसे दुर्गम इलाकों में आसानी से सैन्य जरूरत का सामान पहुंचा सकता है। इस हेलीकॉप्टर ने करगिल युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी।
कब शुरू हुई चीता हेलीकॉप्टर को सेना से हटाने की बात?
2023 में भारतीय सेना को चीता हेलीकॉप्टर का उपयोग करते हुए 60 साल से अधिक का समय हो गया है। पिछले कुछ सालों में कई घटनाओं के संदर्भ में इन हेलीकॉप्टर की क्षमता पर बार-बार सवाल उठाए गए हैं। चीता हेलीकॉप्टर के बेहतर प्रदर्शन के लिए उच्च रखरखाव चाहिए और इन दिनों इसके स्पेयर पार्ट्स मिलना भी मुश्किल है। हालांकि, 2002 के बाद से चीता हेलीकॉप्टर को भारतीय सेना के बेड़े से बाहर करने की बात होने लगी थी।
भारतीय सेना के पास वर्तमान में चीता हेलीकॉप्टर का कोई विकल्प नहीं
HAL ने चीता हेलीकॉप्टर के बाद अपने इंजीनियरों के साथ एक अधिक विश्वसनीय और कुशल इंजन के साथ चीतल हेलीकॉप्टर के निर्माण की शुरुआत की थी, लेकिन भारतीय सेना की जरूरत के हिसाब से यह अपर्याप्त थे। 2012 तक केवल 12 चीतल हेलीकॉप्टर्स का ही निर्माण किया था और फिर इनका उत्पादन भी बंद हो गया। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारतीय सशस्त्र बलों के लिए चीता हेलीकॉप्टर ही उपयोगी है, क्योंकि वर्तमान में इससे कोई बेहतर विकल्प उपलब्ध नहीं है।
'मेक इन इंडिया' के तहत हेलीकॉप्टर उत्पादन को बढ़ावा दे रहा भारत
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीता का विकल्प के तौर पर Airbus H125 जैसे बेहतर प्रदर्शन वाले हेलीकॉप्टर मौजूद हैं, लेकिन भारत 'मेक इन इंडिया' मुहिम के तहत स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। HAL 2008 से लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (LUH) पर काम कर रहा है, जो भारतीय सेना में चीता और चेतक हेलीकॉप्टर की जगह लेंगे। हालांकि, इन हेलीकॉप्टर का निर्माण कार्य धीमा चल रहा है और साल 2024 तक HAL को भारतीय सेना को 12 LUH सौंपेगा।