मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो का जल्द उद्घाटन करेंगे प्रधानमंत्री मोदी, क्या है खासियत?
मुंबई को जल्द ही अपनी पहली भूमिगत मेट्रो ट्रेन मिल सकती है। मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (MMRC) के अनुसार, आरे कॉलोनी से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) के बीच अक्टूबर के पहले हफ्ते में मेट्रो-3 कॉरिडोर की सेवाएं शुरू हो सकती हैं। पहले चरण की सेवाएं शुरू होने के बाद आरे से BKC का सफर केवल 22 मिनट में पूरा किया जा सकेगा। आइए आज मुंबई की पहली भूमिगत मेट्रो की खासियत जानते हैं।
सुबह 6:30 से रात 10:30 बजे तक होगा संचालन
आरे से BKC के बीच का 12.5 किलोमीटर लंबा ये हिस्सा कोलाबा-सीप्ज-आरे मेट्रो लाइन 3 का हिस्सा है, जिसकी कुल लंबाई 33.5 किलोमीटर है। आरे से BKC के बीच मेट्रो के सभी स्टेशनों का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है। पहले चरण में 12.5 किलोमीटर हिस्से पर मेट्रो रोजाना 96 चक्कर लगाएगी। सुबह 6:30 बजे से लेकर रात 10:30 बजे तक ट्रेनों का संचालन होगा। करीब एक घंटे का सफर अब 22 मिनट में पूरा हो सकेगा।
कितना होगा किराया?
पहले चरण में सफर करने के लिए यात्रियों को 10 से लेकर 50 रुपये खर्च करने होंगे। 0 से 3 किलोमीटर के 10 रुपये, 3 से 12 किलोमीटर के 20 रुपये, 12 से 18 किलोमीटर के 30 रुपये और 18 किलोमीटर से ज्यादा दूरी के 40 या इससे ज्यादा रूपये लगेंगे। उम्मीद है कि मार्च, 2025 तक पूरे मार्ग पर मेट्रो सेवा शुरू हो जाएगी। फिलहाल इस मार्ग पर हर 6:30 मिनट में एक ट्रेन चलेगी।
क्या है खासियत?
8 डिब्बों वाली ये ट्रेन बिना ड्राइवर के चलेगी। एक ट्रेन में लगभग 2,500 यात्री सफर कर सकेंगे। इस पूरे मार्ग और ट्रेनों को खास तरह से डिजाइन किया गया है, जिससे भारी बारिश होने के बावजूद भी मेट्रो तक पानी नहीं पहुंचेगा। यात्रियों को स्टेशन से बाहर निकलकर किसी भी तरह की समस्या न हो, इसके लिए मेट्रो स्टेशन के पास ही बस और ऑटो-टैक्सी स्टैंड तैयार करने की योजना पर भी काम किया जा रहा है।
यात्रियों को क्या सुविधाएं मिलेंगी?
प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की सुविधा के लिए एस्केलेटर, लिफ्ट और CCTV कैमरे लगाए गए हैं। ट्रेन में उतरने-चढ़ने के दौरान दुर्घटनाओं से यात्रियों की सुरक्षा के लिए स्क्रीन दरवाजे बनाए गए हैं। दिव्यांग व्यक्तियों के लिए ब्रेल लिपि में बटन, 3 तरफ हैंडरेल, ऑडियो-विजुएल अनाउंसमेंट सिस्टम, व्हीलचेयर और आपातकालीन बटन जैसी सुविधाएं शामिल हैं। यात्रियों को सबसे ज्यादा फायदा समय की बचत के रूप में होगा। दक्षिण मुंबई से शहर के पश्चिमी उपनगरों में आने-जाने में बहुत कम समय लगेगा।