भारत में कैसे बनता है जन्म प्रमाणपत्र? जानें पूरी प्रक्रिया
क्या है खबर?
मोदी सरकार के पूरे देश में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) कराने की आशंकाओं के बीच लोग अपने जन्म प्रमाणपत्र बनाने में लगे हुए हैं।
NRC में नागरिकता तय करते समय जन्म प्रमाणपत्र एक निर्णायक दस्तावेज सिद्ध हो सकता है और इसी कारण लोग जल्दी से अपने जन्म प्रमाणपत्र बनवा रहे हैं।
भारत में जन्म प्रमाणपत्र किन कानूनों के तहत बनता है और इसकी पूरी प्रक्रिया क्या है, आइए आपको बताते हैं।
जानकारी
इस कानून के तहत बनता है जन्म प्रमाणपत्र
आजादी के बाद बनी भारतीय नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) के तहत भारत में जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। ये रजिस्ट्रेशन जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 के प्रावधानों के अंतर्गत होता है।
प्रक्रिया
21 दिन रजिस्ट्रेशन कराने की सामान्य अवधि
इस अधिनियम के अनुसार, जन्म प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने की सामान्य अवधि बच्चे के जन्म के 21 दिन के अंदर है।
बच्चे के जन्म का रजिस्ट्रेशन संबंधित स्थानीय अधिकारियों के पास किया जाता है और इसके बाद जन्म प्रमाणपत्र जारी किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर अगर आप दिल्ली के हैं तो आपको जन्म प्रमाणपत्र के लिए अपने क्षेत्र के नगर निगम के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा जो आपको जन्म प्रमाणपत्र बनाकर देगा।
लेट रजिस्ट्रेशन
सामान्य अवधि के बाद क्या हैं रजिस्ट्रेशन के नियम?
अधिनियम की धारा 13 के अंतर्गत 21 दिनों की सामान्य अवधि समाप्त होने के बाद भी जन्म का रजिस्ट्रेशन कराने के प्रावधान किए गए हैं।
अगर आप बच्चे के जन्म के 21 दिन के बाद लेकिन एक महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो लेट फीस लगेगी।
वहीं एक महीने के बाद लेकिन एक साल के अंदर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लेट फीस, संबंधित अधिकारियों की लिखित मंजूरी और राज्य सरकार के अधिकृत अधिकारी द्वारा बनाया गया हलफनामा देना होगा।
एक साल के बाद
एक साल के बाद मजिस्ट्रेट के आदेश पर ही बनता है जन्म प्रमाणपत्र
बच्चे के जन्म के एक साल के बाद प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट या प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट के आदेश के बाद ही रजिस्ट्रेशन होकर जन्म प्रमाणपत्र बन सकता है।
मजिस्ट्रेट के आदेश से पहले जन्म के दावे के सही होने की जांच की जाती है।
इसके अलावा बच्चे के नाम लिखे बिना भी जन्म प्रमाणपत्र जारी हो सकता है। इसमें 12 महीने के अंदर नाम भरना होता है। इसके बाद 15 साल तक लेट फीस के साथ नाम भरा जा सकता है।
विदेश में जन्म बच्चे
भारत के बाहर जन्मे बच्चों पर लागू होते हैं ये नियम
अगर भारत से बाहर जन्मे बच्चों की बात करें तो उनके जन्म का रजिस्ट्रेशन नागरिकता कानून 1955 और नागरिक (भारतीय वाणिज्य दूतावासों में पंजीकरण) नियम, 1956 के तहत होता है।
हालांकि अगर बच्चे के माता-पिता स्थाई तौर पर रहने के लिए वापस भारत लौटना चाहते हैं तो जन्म का रजिस्ट्रेशन बच्चे के भारत आने के 60 दिन के अंदर किया जा सकता है।
इसके बाद देरी से रजिस्ट्रेशन वाले कानून मान्य होंगे।
जरूरी दस्तावेज
किन-किन दस्तावेजों की पड़ती है जरूरत?
जन्म प्रमाणपत्र के लिए जिन दस्तावेजों की जरूरत होती है उनमें एक सादा पेपर पर आवेदन, जिसका प्रमाणपत्र बन रहा है उस व्यक्ति के जन्म का सबूत, एक हलफनामा जिसमें नाम और जन्म का स्थान, समय और तारीख स्पष्ट हो, राशन कार्ड की कॉपी और स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र जिसमें जन्म की तारीख लिखी हो आदि शामिल हैं।
स्कूल प्रमाणपत्र न होने पर पुलिस वेरिफिकेशन की जरूरत पड़ती है और इसके बाद ही जन्म प्रमाणपत्र बनता है।