जामिया हिंसा: अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे भारतीय छात्रों ने की पुलिस कार्रवाई की निंदा
क्या है खबर?
नागरिकता कानून का विरोध कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों पर पुलिस की बर्बरता का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।
अब अमेरिकी की अलग-अलग यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे लगभग 400 भारतीय छात्रों ने पत्र लिखकर छात्रों पर बल प्रयोग की निंदा की है।
इस पत्र पर MIT, हार्वर्ड, येल, कोलंबिया, स्टेनफोर्ड, जॉह्न हॉपकिन्स, कॉर्नेल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के छात्रों के हस्ताक्षर है।
आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
जामिया प्रदर्शन
जामिया यूनिवर्सिटी में क्या हुआ था?
बीते रविवार को जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया।
इसी दौरान कुछ असामाजिक तत्वों ने बसों में आग लगा दी और पुलिस पर पत्थरबाजी की।
भीड़ को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले दागे।
आरोप है कि पुलिस बिना इजाजत यूनिवर्सिटी में घुसी और लाइब्रेरी में जाकर छात्रों को पीटा।
यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने इसे बर्बरता बताते हुए दिल्ली पुलिस के खिलाफ केस करने की बात कही है।
पत्र
पुलिस ने संविधान और कानूनों का उल्लंघन किया- पत्र
जामिया यूनिवर्सिटी की तरह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी पुलिस ने छात्रों पर लाठियां बरसाई थी।
इस पत्र में छात्रों ने नागरिकता कानून का विरोध कर रहे भारतीय छात्रों को अपना समर्थन दिया है। पत्र में अमेरिका में पढ़ रहे छात्रों ने नागरिकता कानून को भेदभाव करने वाला कानून बताया है।
पत्र में कहा गया है कि पुलिस ने छात्रों के प्रदर्शन को रोकने में भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन किया है।
जानकारी
पुलिस ने नियम ताक पर रखे- पत्र
हार्वर्ड लॉ स्कूल की छात्रा झलक ए कक्कड़ के जरिए जारी किये गए पत्र में कहा है कि छात्रों का प्रदर्शन कुचलने के लिए पुलिस ने नियमों को ताक पर रखा। अधिकतर पीड़ित मुस्लिम छात्र है, जो निशाना बनाकर की गई हिंसा का प्रतीक है।
पत्र
इंटरनेट पर पाबंदी की आलोचना
अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे छात्रों ने अपने पत्र में असम में नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों में पांच लोगों की मौत की निंदा की है।
गौरतलब है कि असम में इस कानून के विरोध में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं।
छात्रों ने कहा कि इंटरनेट बंद होने के कारण लोग पुलिस की बर्बरता के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहे हैं। इससे यह जानना असंभव हो गया है कि जमीनी हालात कैसे हैं।
पत्र
अमित शाह से इस्तीफे की मांग
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने प्रदर्शनों को 'दंगे' करार दिया था। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए पत्र में कहा गया है कि उन्होंने स्थिति की भयावहता को नजरअंदाज किया है।
पत्र में कहा गया है कि सरकार को यूनिवर्सिटी परिसरों से सुरक्षाबलों को वापस बुलाना चाहिए और इसकी जांच होनी चाहिए।
साथ ही छात्रों ने अमित शाह से पुलिस बर्बरता पर रोक लगाने के लिए कदम उठाने या इस्तीफा देने की मांग की है।