श्याम रंग और बाल स्वरूप, जानिए कैसी होगी राम मंदिर में स्थापित होने वाली प्रतिमा
क्या है खबर?
22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां जोरों पर हैं। अब मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम की मूर्ति के बारे में जानकारी सामने आई है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि जो मूर्ति मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित होगी, वह श्याम रंग की होगी और इसकी लंबाई 51 इंच होगी।
आइए जानते हैं राय ने मूर्ति के बारे में क्या-क्या बताया है।
बयान
मूर्ति के बारे में क्या बोले चंपत राय?
राय ने कहा, "भगवान श्री राम लला की बनी मूर्ति 5 साल के बच्चे के रूप में है। यह प्रतिमा 51 इंच ऊंची है, जो काले पत्थर से बनी है और बहुत ही आकर्षक ढंग से बनाई गई है। उसमें देवत्व यानि भगवान का अवतार है, विष्णु का अवतार है। एक राजा का बेटा भी है तो राज पुत्र है। देवत्व है, लेकिन वह 5 वर्ष का बालक है। ऐसी प्रतिमा तैयार हो गई है।"
मूर्ति
3 मूर्तियों की होगी स्थापना
राय ने कहा कि भगवान राम की मूर्ति मंदिर की जमीन पर रखी जाएगी।
उन्होंने कहा, "सीता और हनुमान के अलावा भगवान राम के भाइयों की मूर्तियां भव्य मंदिर की पहली मंजिल पर रखी जाएंगी, लेकिन इसमें 8 महीने और लगेंगे।"
मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के मुताबिक, "श्याम वर्ण की मूर्ति प्रथम गर्भगृह में स्थापित की जा रही है। बाकी की दोनों मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा दोनों तल बन जाने के बाद होगी।"
पूजा
16 जनवरी से शुरू होगी मूर्ति की पूजा
मूर्ति की पूजा 16 जनवरी से शुरू होगी और 18 जनवरी को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा।
न्यूज18 से बात करते हुए राय ने कहा, "भगवान श्री राम की मूर्ति की लंबाई और इसकी स्थापना की ऊंचाई भारत के प्रतिष्ठित अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर इस तरह से की गई है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को स्वयं भगवान सूर्य श्री राम का अभिषेक करेंगे, क्योंकि सूर्य की किरणें सीधे उनके माथे पर पड़ेंगी।"
अरुण
प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई है मूर्ति
मंदिर में जिस मूर्ति की स्थापना होगी, उसे कर्नाटक के अरुण योगीराज ने बनाया है।
वे प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी वाडियार घराने के महलों में मूर्तिकला से जुड़े काम कर चुके हैं।
अरुण इंडिया गेट पर लगी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति, केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा, मैसूर में हनुमान प्रतिमा, भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा समेत कई मूर्तियों को डिजाइन कर चुके हैं।
पुरानी
पुरानी मूर्ति का क्या होगा?
वर्तमान में अस्थायी मंदिर में भी एक मूर्ति विराजित है, जिसकी साल 1949 से पूजा हो रही है। इन मूर्तियों को भी नई मूर्ति के पास ही विराजित किया जाएगा।
दरअसल, कोर्ट में जो मुकदमा हुआ था, वो इसी विराजमान रामलला के नाम पर दायर किया गया था। इसलिए इस मूर्ति को भी मंदिर में ही विराजित किया जाएगा।
आचार्य दास के मुताबिक, यह अचल ना होकर चल मूर्ति यानी उत्सव मूर्ति भी हो सकती है।