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    खालिस्तान समर्थक संगठन पर लग रहे किसान आंदोलन पर टूलकिट बनाने के आरोप, जानें पूरा मामला

    खालिस्तान समर्थक संगठन पर लग रहे किसान आंदोलन पर टूलकिट बनाने के आरोप, जानें पूरा मामला
    लेखन मुकुल तोमर
    Feb 06, 2021, 03:27 pm 1 मिनट में पढ़ें
    खालिस्तान समर्थक संगठन पर लग रहे किसान आंदोलन पर टूलकिट बनाने के आरोप, जानें पूरा मामला

    स्वीडन की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन को लेकर जिस टूलकिट को शेयर किया था, उसे बनाने के मामले में कनाडा की 'पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन' का नाम सामने आ रहा है। यह संस्था पिछले काफी समय से किसान आंदोलन के समर्थन में सोशल मीडिया पर कैंपेन चला रहा है, हालांकि इस पर भी कुछ सवाल उठ रहे हैं और इसे खालिस्तान समर्थक बताया जा रहा है। आइए इस संस्था और मामले के बारे में विस्तारपूर्वक जानते हैं।

    किसान आंदोलन का समर्थन करने के बाद थनबर्ग ने शेयर की थी टूलकिट

    दुनियाभर में प्रसिद्ध जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने 3 फरवरी को भारत में हो रहे किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट करने के बाद इससे संबंधित एक टूलकिट भी शेयर की थी। इसमें लोगों को सोशल मीडिया पर कैंपेन समेत अन्य कई तरीकों से आंदोलन का समर्थन करने के बारे में बताया गया था। दिल्ली पुलिस ने इसे "भारत को बदनाम" करने की साजिश करते हुए मामले में टूलकिट से संबंधित लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।

    क्या है पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन?

    विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस की शुरूआती जांच में सामने आया है कि इस टूलकिट को कनाडा की पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने बनाया था। यह फाउंडेशन खुद को दमन और भेदभाव को चुनौती देने वाला संगठन बताता है और इनसे जुड़े कंटेंट, वर्कशॉप और इवेंट आयोजित करता है। वह पिछले काफी समय से किसान आंदोलन में सक्रिय है और उसने #AskIndiaWhy नाम से अभियान चलाया है। #AskIndiaWhy नाम से वेबसाइट भी है जिसमें खालिस्तान का समर्थन किया गया है।

    खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करता है फाउंडेशन का संस्थापक

    पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने पिछले साल अक्टूबर में खालिस्तानी संप्रभुता पर एक वेबिनार भी आयोजित किया था जिसमें पैनलिस्ट के तौर पर फाउंडेशन का सह-संस्थापक मो धालीवाल शामिल हुआ था। कनाडा के वैंकूवर का रहने वाला धालीवाल खुलेआम खालिस्तान का समर्थन करता रहा है और 17 सितंबर, 2020 की अपनी फेसबुक पोस्ट में उसने कहा था, "मैं एक खालिस्तानी हूं। आपको मेरे बारे में पता नहीं होगा... खालिस्तान एक विचार है। खालिस्तान एक जिंदा, सांस लेता हुआ आंदोलन है।"

    भारतीय दूतावास के सामने धालीवाल ने दिया था भड़काऊ भाषण

    धालीवाल 26 जनवरी को कनाडा में भारतीय दूतावास के सामने हुए विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुआ था। यहां भाषण देते हुए उसने कहा था, "अगर कृषि कानून कल निरस्त हो जाते हैं तो यह जीत नहीं होगी। ये लड़ाई कृषि कानूनों की वापसी से शुरू होती है, यहां खत्म नहीं होती... कुछ लोग आपसे कहने की कोशिश कर रहे हैं कि आप पंजाब से अलग हैं, खालिस्तानी आंदोलन से अलग हैं। आप अलग नहीं हैं।"

    धालीवाल पर ये भी आरोप

    धालीवाल ने 3 जून, 2020 को स्वर्ण मंदिर पर कब्जा करने वाले खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की तस्वीर भी पोस्ट कर चुका है। अपनी इस पोस्ट में उसने भिंडरावाले का महिमामंडन किया था। धालीवाल स्काईरॉकेट नाम की एक जनसंपर्क कंपनी का निदेशक भी है। दिल्ली पुलिस ने इसी कंपनी पर पॉप स्टार रिहाना को किसान आंदोलन पर ट्वीट करने के लिए 25 लाख डॉलर (18.20 करोड़ रुपये) देने का आरोप लगाया है।

    फाउंडेशन ने किया किसी को भी पैसे देने से इनकार

    इन सभी आरोपों के बीच पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन ने बयान जारी कर सफाई दी है। अपने बयान में उसने कहा कि उसने रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग या अन्य हस्तियों को किसान आंदोलने के बारे में ट्वीट करने को नहीं कहा और न ही उसने किसी को ट्वीट करने के लिए पैसे दिए। उसने कहा कि पूरी दुनिया से मामले को शेयर करने को जरूर कहा और हो सकता है कि इसकी वजह से अच्छे लोगों ने अपनी आवाज उठाई हो।

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