
व्हाट्सऐप ग्रुप पर सदस्यों के आपत्तिजनक मैसेज के लिए ग्रुप एडमिन जिम्मेदार नहीं- केरल हाई कोर्ट
क्या है खबर?
दुनियाभर में वर्तमान में इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप के रूप में व्हाट्सऐप का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके जरिए लोग ग्रुप बनाकर एकसाथ चैट करने के साथ फोटो, वीडियो आदि भी शेयर करते हैं।
इसी बीच केरल हाई कोर्ट ने व्हाट्सऐप ग्रुप पर आपत्तिजनक मैसेज डालने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने कहा कि व्हाट्सऐप ग्रुप में किसी सदस्य द्वारा डाले गए आपत्तिजनक मैसेज के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
प्रकरण
क्या है पूरा मामला?
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केरल के अलाप्पुझा जिला निवासी मन्नुअल (22) ने अपने दोस्तों के साथ व्हाट्सऐप पर 'फ्रेंड्स' नाम से एक ग्रुप बनाया था।
29 मार्च, 2020 को ग्रुप के एक सदस्य ने एक अश्लील वीडियो पोस्ट कर दिया था। जिसमें बच्चों को अश्लीलता करते हुए दिखाया गया था।
इसको लेकर एर्नाकुलम सिटी पुलिस ने 15 जून, 2020 को ग्रुप एडमिन और वीडियो डालने वाले सदस्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
धारा
पुलिस ने इन धाराओं में दर्ज किया था मामला
एर्नाकुलम पुलिस ने दोनों के खिलाफ IT अधिनियम, 2000 की धारा 76B (A)(B) और (D) तथा यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) की धारा 13, 14 और 15 के तहत मामला दर्ज किया था।
इसके बाद पुलिस ने मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अत्याचार तथा यौन हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए स्थापित अतिरिक्त सत्र न्यायालय में चार्जशीट पेश की थी। मन्नुअल ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुनवाई
सदस्य के मैसेज के लिए एडमिन जिम्मेदार नहीं- हाई कोर्ट
मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने कहा, "विकृत आपराधिक दायित्व केवल कानून के प्रावधान से तय किया जा सकता है, इसके अलावा नहीं। विशेष दंडात्मक कानून के अभाव में व्हाट्सऐप ग्रुप के एडमिन को सदस्य के आपत्तिजनक पोस्ट के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "केवल ग्रुप एडमिन होना अपराध का आधार नहीं है और एडमिन IT अधिनियम के तहत भी मध्यस्थ नहीं हो सकता है।"
संबंध
ग्रुप एडमिन और सदस्यों के संबंधों पर कोर्ट ने क्या की टिप्पणी?
हाई कोर्ट ने कहा, "ग्रुप एडमिन और उसके सदस्यों के बीच कोई मास्टर-नौकर या प्रिंसिपल-एजेंट संबंध नहीं होता है। किसी अन्य की पोस्ट के लिए एडमिन को उत्तरदायी ठहराना आपराधिक कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।"
कोर्ट ने कहा, "आपराधिक न्यायशास्त्र का मूल सिद्धांत है कि किसी व्यक्ति के अपराध करने के इरादे या उसकी शिथिलता से अपराध होने पर ही उसे संबंधित अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।"
विशेषाधिकार
ग्रुप एडमिन के पास होता है केवल एक विशेषाधिकार- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा, "ग्रुप एडमिन के पास केवल एक विशेषाधिकार होता है कि वह ग्रुप में किसी भी सदस्य को जोड़ या हटा सकता है। कोई सदस्य क्या पोस्ट कर रहा है इस पर एडमिन के पास कोई नियंत्रण नहीं होता है। वह ग्रुप में मैसेज को सेंसर या मॉडरेट नहीं कर सकता है।"
कोर्ट ने कहा, "इस मामले में ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। ऐसे में पुलिस की चार्जशीट को खारिज किया जाता है।"
पुनरावृत्ति
ग्रुप एडमिन को पहले भी कई मामलों में मिली है राहत
बता दें कि 2016 में आशीष भल्ला बनाम सुरेश चौधरी और अन्य के एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि व्हाट्सऐप ग्रुप में किसी भी सदस्य द्वारा दिए गए आपत्तिजनकर पोस्ट या बयान के लिए एडमिन को जिम्मेदार नहीं बनाया जा सकता है।
इसी तरह मद्रास हाई कोर्ट ने साल 2021 के आर राजेंद्रन बनाम पुलिस निरीक्षक मामले में जांच अधिकारी को चार्जशीट दाखिल करते समय ग्रुप एडमिन का नाम हटाने का निर्देश दिया था।