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प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल किए गए अपशब्द अपमानजनक, लेकिन देशद्रोह नहीं- कर्नाटक हाई कोर्ट
कर्नाटक हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ नाटक के मामले पर फैसला सुनाया

प्रधानमंत्री के खिलाफ इस्तेमाल किए गए अपशब्द अपमानजनक, लेकिन देशद्रोह नहीं- कर्नाटक हाई कोर्ट

Jul 07, 2023
03:16 pm

क्या है खबर?

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस्तेमाल किए गए अपशब्द अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना हैं, लेकिन यह देशद्रोह नहीं है। हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी एक स्कूल के प्रबंधकों के खिलाफ दर्ज किए गए देशद्रोह के मामले को रद्द करते हुए की। कोर्ट ने अपने आदेश में स्कूल के बच्चों को सरकारों की आलोचना से दूर रखने की सलाह भी दी।

मामला 

क्या है पूरा मामला? 

बीदर के शाहीन स्कूल के बच्चों ने 21 जनवरी, 2020 को नागरिकता कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) के खिलाफ नाटक का मंचन किया था। बच्चों द्वारा प्रस्तुत किए गए नाटक में केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की गई थी और कहा गया था कि यदि ऐसे अधिनियमों को लागू किया जाता है तो मुसलमानों को देश छोड़ना पड़ सकता है। नाटक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल हुआ था।

मामला 

मामले में दर्ज हुआ था देशद्रोह का केस

नाटक की वीडियो सामने आने के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता नीलेश रक्षला ने स्कूल के प्रबंधन में शामिल 4 लोगों अलाउद्दीन, अब्दुल खालिक, मोहम्मद बिलाल इनामदार और मोहम्मद महताब के खिलाफ शिकायत की थी। इसके बाद बीदर के न्यू टाउन पुलिस स्टेशन में इन चारों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 (जानबूझकर किसी का अपमान करना) और 124A (देशद्रोह) समेत अन्य कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।

सुनवाई 

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

कर्नाटक हाई कोर्ट की कलबुर्गी पीठ के जस्टिस हेमंत चंदनगौदर ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज देशद्रोह का मामला रद्द करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री को जूते से मारा जाना चाहिए जैसे अपशब्दों का उच्चारण न केवल अपमानजनक है, बल्कि गैर-जिम्मेदाराना भी है। संविधान में सरकार की नीति की रचनात्मक आलोचना की अनुमति है, लेकिन नीतिगत निर्णय लेने के लिए संवैधानिक पदाधिकारियों का अपमान नहीं किया जा सकता है।"

सुनवाई 

देशद्रोह का मामला न होने के पीछे कोर्ट ने बताई ये वजह

हाई कोर्ट ने कहा, "नाटक का मंचन स्कूल परिसर के अंदर हुआ था। बच्चों ने नाटक के दौरान लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के लिए कोई शब्द नहीं बोले थे।" उसने कहा, "यह नहीं कहा जा सकता है कि आरोपियों ने जानबूझकर सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के इरादे से नाटक किया था। आवश्यक सामग्री के अभाव में धारा 124ए (देशद्रोह) और धारा 505 (2) के तहत अपराध के लिए FIR दर्ज करना अस्वीकार्य है।"

सुनवाई 

कोर्ट बोली- राजनीतिक मुद्दों का बच्चों पर पड़ सकता है गलत असर

हाई कोर्ट ने कहा, "एक नागरिक को सरकार द्वारा लिए गए फैसलों की आलोचना या टिप्पणी करने का अधिकार है, जब तक कि वह कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ या सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा करने के इरादे से लोगों को हिंसा के लिए उकसाता नहीं है।" कोर्ट ने कहा, "बच्चे की रुचि विकसित करने के लिए आकर्षक और रचनात्मक विषयों का नाटकीयकरण अच्छा है, लेकिन वर्तमान राजनीतिक मुद्दों का बच्चों पर गलत असर पड़ सकता है।"