महिला किसान दिवस: आंदोलनकारी महिलाओं ने किया साफ- वापस जाने का कोई सवाल नहीं
क्या है खबर?
सोमवार को महिला किसान दिवस के मौके पर महिलाओं ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की बागडोर संभाली और दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर स्टेज संभालने से लेकर लाठियों के साथ प्रवेश द्वारों की रक्षा करने तक का काम किया।
इस बीच महिला किसानों यह भी साफ कर दिया कि वह भी आंदोलन का हिस्सा हैं और उनके वापस जाने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक जरूरत पड़ेगी, वे तब तक आंदोलन मेें शामिल रहेंगी।
महिला किसान दिवस
केवल महिलाओं ने ही दिए स्टेज से भाषण
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, महिला किसान दिवस के मौके पर सुबह से ही पंजाब के अमृतसर, मोहाली और खन्ना से महिलाएं सिंधु बॉर्डर आना शुरू हो गईं और दैनिक कामकाज अपने हाथों में लेना शुरू कर दिया।
यहां महिलाओं के एक समूह ने मुख्य स्टेज और इस पर हो रहे कार्यक्रमों को संभाला, वहीं दूसरे समूह ने स्टेज के पीछे कार्य देखा।
इसके अलावा दिन में जितने भी भाषण हुए, सभी महिलाओं ने ही दिए।
जानकारी
महिलाओं ने किया सरकार और कृषि कानूनों पर नाटक का प्रदर्शन
इस मौके पर महिलाओं के एक थिएटर समूह ने केंद्र सरकार और कृषि कानूनों पर एक हास्य नाटक का प्रदर्शन भी किया।इसके अलावा अलग-अलग संगठनों की महिलाओं ने प्रत्येक घंटे पर ट्रैक्टर ट्रॉलियों के बराबर में जुलूस भी निकाले।
बयान
BKU महिला इकाई की प्रमुख बोलीं- हम आंदोलन का अभिन्न अंग
भारतीय किसान यूनियन (BKU) उग्रहान की महिला इकाई की प्रमुख हरिंदर बिंदु ने इस मौके पर कहा, "हम आंदोलन का हिस्सा हैं और वापस जाने का कोई सवाल नहीं है। हम भगत सिंह की जमीन से आते हैं और बलिदान के बारे में जानते हैं। मैंने भी किसानी में मदद की है क्योंकि मेरा एक किसान परिवार है। हम संघर्ष के समर्थन में हैं और खुद को इसका अभिन्न अंग मानते हैं। हम जब तक जरूरत पड़ेगी, यहां रुकेंगे।"
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के संदर्भ में था बिंदु का बयान
बता दें कि बिंदु का ये बयान सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के संदर्भ में था जिसमें उसने कहा था कि महिलाओं और बुजुर्ग किसानों के इस आंदोलन में क्या कर रहे हैं और उन्हें वापस चले जाना चाहिए।
अन्य जगहें
देश के अन्य इलाकों में भी महिलाओं ने संभाला मोर्चा
किसान आंदोलन का संचालन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, सिंघु बॉर्डर के साथ-साथ देशभर के अन्य इलाकों में भी महिला किसान दिवस का उत्सव बनाया गया।
मध्य प्रदेश के बड़वानी और खरगोन में महिला किसानों ने एक बड़ी रैली निकाली, वहीं महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में भी महिलाओं ने बैलगाड़ियों के साथ रैली निकाली। राजस्थान में महिलाओं ने ट्रैक्टर रैली निकाली।
हरियाणा के महेंद्रगढ़ और उत्तर प्रदेश के जौनपुर में महिलाओं की बड़ी सभाओं का आयोजन किया गया।
मुद्दा
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
बातचीत
असफल रही है किसानों और सरकार के बीच नौ दौर की बातचीत
गतिरोध को तोड़ने के लिए किसानों और सरकार के बीच नौ दौर की बैठक भी हो चुकी है, हालांकि इनमें कोई समाधान नहीं निकला है।
किसानों का कहना है कि सरकार इन तीनों कानूनों को वापस ले और तभी वह आंदोलन को खत्म करेंगे, वहीं सरकार का कहना है कि वह कानून वापस नहीं लेगी और केवल संशोधन कर सकती है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और एक समिति बनाई है।