देश की शिशु मृत्यु दर में सुधार, लेकिन कुपोषण की स्थिति बिगड़ी- सर्वे
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने शनिवार को पांचवां राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) जारी किया। देश के 6.1 लाख से अधिक परिवारों से प्राप्त जानकारी पर आधारित इस सर्वे में देश की शिशु मृत्यु दर में सुधार देखने को मिला है। इसके विपरीत कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या में वृद्धि आई है और इसका असर उनके वजन और लंबाई पर पड़ा है। सर्वे में क्या-क्या सामने आया है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
नवजात और शिशु दोनों की मृत्यु दरों में आई कमी
NFHS-5 के अनुसार, NFHS-4 (2015-16) की तुलना में 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नवजात बच्चों की मृत्यु दर (प्रति 1,000 जन्मों पर मौतें) में कमी आई है। वहीं 18 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे रहे जहां शिशु मृत्यु दर और पांच से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी आई। सर्वे के साथ जारी अपने बयान में स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्वास्थ्य सेवाओं और टीकाकरण में सुधार को मृत्यु दर में कमी का कारण बताया है।
18 राज्यों में बढ़ी कम वजन वाले बच्चों की संख्या
कुपोषण की बात करें तो जिन 18 राज्यों के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें से 11 में ऐसे बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ जिनका वजन उनकी उम्र के हिसाब से कम है। इसका एक मुख्य कारण कुपोषण है। 11 बड़े राज्यों में स्थिति सबसे अधिक खराब हुई है और तेलंगाना में ऐसे बच्चों की संख्या में सबसे अधिक 5.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं हिमाचल प्रदेश में 4.5 प्रतिशत और केरल में 3.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
14 राज्यों में लंबाई के अनुपात में कम वजन वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि
इसके अलावा 14 राज्यों में कुपोषण के कारण लंबाई के अनुपात में कम वजन वाले बच्चों की संख्या में वृद्धि आई है और 10 बड़े राज्यों में स्थिति बदतर हुई है। जम्मू-कश्मीर में ऐसे बच्चों की संख्या में सबसे अधिक 6.8 प्रतिशत की वृद्धि आई है, वहीं असम में 4.7 प्रतिशत, हिमाचल प्रदेश में 3.7 प्रतिशत, तेलंगाना में 3.6 प्रतिशत, बिहार में 2.1 प्रतिशत और केरल में 0.1 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
14 राज्यों में बढ़ी कम कद वाले बच्चों की संख्या
NFHS-5 के अनुसार, 14 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे रहे जहां कुपोषण की वजह से पांच साल से कम उम्र के बच्चों का कद कम रह गया। इनमें महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य भी शामिल रहे। 20 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे रहे जहां अधिक वजन वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ। वहीं 17 राज्य ऐसे रहे जहां NFHS-4 की तुलना में लिंग अनुपात बढ़ा है।
ज्यादातर राज्यों में बढ़ी बच्चों में एनीमिया की समस्या
सर्वे में पांच साल के कम उम्र के बच्चों में एनीमिया (खून की कमी) की समस्या बढ़ने की बात भी सामने आई। असम में ऐसे बच्चों की संख्या में सबसे अधिक 32.7 प्रतिशत का इजाफा हुआ, वहीं जम्मू-कश्मीर में 18.9 प्रतिशत, गुजरात में 17.1 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 15.1 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 14.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ। असम में लगभग 33 प्रतिशत इजाफे का मतलब है कि अभी राज्य में 68 प्रतिशत बच्चों को एनीमिया है।
बच्चों के टीकाकरण में हुआ सुधार
अच्छे आंकड़ों की बात करें तो गुजरात में 12-23 महीने के बच्चों के टीकाकरण में पिछले सर्वे की तुलना में लगभग 26 प्रतिशत का सुधार देखने को मिला। वहीं महाराष्ट्र (17.3 प्रतिशत) और हिमाचल प्रदेश (20 प्रतिशत) आदि में भी बड़ा सुधार देखने को मिला।