लॉकडाउन: तीन दिन तक पैदल चली 12 वर्षीय बच्ची, घर के नजदीक आकर तोड़ा दम
देश के करोड़ों प्रवासी और दैनिक मजदूर कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। लॉकडाउन शुरू होने के बाद से ऐसी कई दर्दनाक कहानियां सामने आ चुकी हैं जो इस तबके के सामने खड़े जीवन और मौत के सवाल को दर्शाती हैं। अब छत्तीसगढ़ से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पैदल ही अपने घर के लिए निकली 12 वर्षीय बच्ची की मौत हो गई।
तेलंगाना के खेतों में काम करती थी बच्ची
12 वर्षीय जमलो मकदम छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की रहने वाली थी और बेहद कम उम्र होने के बावजूद पेट पालने के लिए पड़ोसी राज्य तेलंगाना के एक गांव के मिर्च के खेतों में काम करती थी। लॉकडाउन शुरू होने के समय पर तेलंगाना में ही थी और जब 21 दिन के पहले लॉकडाउन को उसने जैसे-तैसे काट लिया। लेकिन जब 14 अप्रैल को लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया गया तो उसकी हिम्मत जबाव दे गई।
घर से 14 किलोमीटर दूर जमलो ने तोड़ा दम
15 अप्रैल को जमलो उसके साथ खेतों में काम करने वाले अन्य 11 लोगों के साथ पैदल ही 150 किलोमीटर दूर अपने घर के लिए निकल पड़ी। समूह हाइवे छोड़ जंगल के रास्ते लौटा और वे लगातार तीन दिन चलते रहे। शनिवार दोपहर तक जमलो अपने घर से मात्र 14 किलोमीटर दूर थी, लेकिन तभी उसके पेट में अचानक से तेज दर्ज उठा और उसकी मौत हो गई। रविवार को एंबुलेंस के जरिए उसके शव को उसके घर पहुंचाया गया।
दो महीने पहले ही तेलंगाना गई थी जमलो
जमलो के साथ आने वाले लोगों ने कहा कि उसने रास्ते में ठीक से खाना नहीं खाया और उसे कई बार उल्टियां आई थीं। उसके पिता अंदोराम मकदम ने बताया कि जमलो दो महीने पहले ही गांव की कुछ महिलाओं के साथ तेलंगाना गई थी। जमलो अपने माता-पिता की अकेली संतान थी और उसका परिवार जंगल में उपजने वाली चीजें इकट्ठा कर अपना गुजारा करता है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह बघेल ने परिवार को एक लाख रुपये का मुआवजा दिया है।
डॉक्टर्स ने ये बताई मौत की वजह
डॉक्टर्स का कहना है कि जमलो बुरी तरह से डिहाइड्रेटेड (पानी की कमी) और कुपोषित थी। उसका कोरोना वायरस टेस्ट नेगेटिव आया है और डॉक्टर्स ने उसके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और अत्यधिक थकावट को मौत का कारण बताया गया है। तेलंगाना में कोरोना वायरस के अधिक मामले होने के कारण समूह के बाकी सदस्यों को क्वारंटाइन किया गया है। जमलो के शव को भी पहले मुर्दाघर ले जाया गया था, जहां से रविवार शाम को परिवार को सौंपा गया।
मुरैना के रहने वाले रणवीर सिंह की भी हुई थी पैदल चलते-चलते मौत
इससे पहले लॉकडाउन के कारण पैदल ही अपने घर की तरफ निकले मध्य प्रदेश के मुरैना के रहने वाले रणवीर सिंह की भी मौत हो चुकी है। वह दिल्ली में एक ढाबे पर काम करते थे और लॉकडाउन के बाद जब पुलिस ने रेस्टोरेंट को बंद कर दिया तो पैदल ही अपने घर की तरफ निकल पड़े थे। लेकिन 200 किलोमीटर चलने के बाद उनकी छाती में दर्द उठा और उनकी मौत हो गई।