पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से अमृतपाल सिंह को हो रही फंडिंग, सुरक्षा एजेंसियों ने जताया शक
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) द्वारा खालिस्तानी समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह को फंडिंग हो रही है। भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने यह शक जताते हुए कहा कि इसी फंडिंग से सोशल मीडिया पर अमृतपाल को भिंडरावाले 2.0 के रूप में प्रचारित करने का अभियान चलाया जा रहा है। बता दें, जरनैल सिंह भिंडरावाले अलग सिख राष्ट्र (खालिस्तान) के समर्थक थे। 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान सेना ने उन्हें मार गिराया था।
खुफिया एजेंसियों ने जारी किया अलर्ट
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में ISI समर्थित खालिस्तानी आतंकवादी समूह सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ सकते हैं। ISI और खालिस्तानी आतंकवादी समूहों के निशाने पर धार्मिक नेता और भीड़भाड़ वाले स्थान हैं। एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में पंजाब पुलिस को पंजाब-जम्मू सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए कहा है। इसमें आशंका जताई गई है कि ISI पंजाब में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की खेप भेज सकती है।
कब सामने आई खुफिया जानकारी?
यह खुफिया जानकारी अमृतसर के अजनाला पुलिस स्टेशन पर खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी को लेकर हथियारों से लैस होकर उसके समर्थकों के प्रदर्शन किये जाने के कुछ दिनों बाद सामने आई है। पुलिस ने दावा किया कि इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल के रूप में भी इस्तेमाल किया। अमृतपाल और उनके समर्थकों से बातचीत के बाद पुलिस ने लवप्रीत को रिहा कर दिया था।
अजनाला पुलिस स्टेशन में क्या हुआ था?
23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला पुलिस थाने को 'वारिस पंजाब दे' संगठन के हजारों लोगों ने घेर लिया था। हाथों में तलवार, बंदूक और लाठियां लिए ये लोग थाने में घुसने की कोशिश करने लगे। इस दौरान 3 पुलिसवालों को चोटें आईं। प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेडिंग की थी, लेकिन लोगों ने उसे उखाड़ फेंका। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव भी हुआ, जिसमें 10-12 लोग घायल हो गए।
धार्मिक संगठनों ने की घटना की आलोचना
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी अजनाला की घटना की जांच के लिए एक समिति का गठन किया है, जिसमें प्रदर्शनकारियों द्वारा गुरु ग्रंथ साहिब को अजनाला पुलिस स्टेशन ले जाया गया था। दमदमी टकसाल सहित कुछ धार्मिक संगठनों के अलावा कांग्रेस ने भी अजनाला की घटना के बाद अमृतपाल के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने पर पंजाब सरकार की आलोचना की। हालांकि, इस घटना पर सरकार ने कहा था कि कानून-व्यवस्था के खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।
कौन है अमृतपाल सिंह?
अमृतपाल सिंह का जन्म अमृतसर के जादूखेड़ा गांव में हुआ है। शुरुआती पढ़ाई के बाद वो रोजगार की तलाश में दुबई चले गये और वहां परिवार के साथ ट्रांसपोर्ट का कामकाज करने लगे। अमृतपाल पिछले साल ही दुबई से लौटे थे और अपनी दमदार भाषण शैली की वजह से जल्द ही लोगों के बीच मशहूर हो गए। उन्हें पिछले साल ही 'वारिस पंजाब दे' संगठन का प्रमुख चुना गया था।
'वारिस पंजाब दे' संगठन क्या है?
इस संगठन को पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू ने पंजाबी हितों के संरक्षण और सामाजिक कार्यों के लिए बनाया था। सिद्धू किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी, 2021 को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद चर्चा में आए थे। 15 फरवरी, 2022 को उनकी एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी, जिसके बाद अमृतपाल सिंह को संगठन का प्रमुख बनाया गया। अमृतपाल ने युवाओं को ध्यान में रख संगठन की वेबसाइट बनाई और लोगों को जोड़ना शुरू किया।