LOADING...
दिल्ली में बार-बार स्कूलों को ईमेल से धमकी देने वालों को पकड़ना क्यों हुआ मुश्किल?
दिल्ली के स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिलना बंद नहीं हो रही है (प्रतीकात्मक तस्वीर: एक्स/@IndianTechGuide)

दिल्ली में बार-बार स्कूलों को ईमेल से धमकी देने वालों को पकड़ना क्यों हुआ मुश्किल?

लेखन गजेंद्र
Aug 19, 2025
10:20 am

क्या है खबर?

दिल्ली में सोमवार को 3-4 नहीं बल्कि 32 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। ये धमकियां ईमेल के जरिए किसी 'द टेरराइजर्स 111 ग्रुप' नाम के संगठन ने भेजी थी। कथित आतंकी समूह ने ईमेल में 5,000 डॉलर की क्रिप्टोकेरेंसी मांगे थे। यह पहली बार नहीं है, जब स्कूलों को धमकी मिली है। इससे पहले 300 स्कूलों को एक साथ धमकी मिल चुकी है। सवाल ये है कि इन्हें पकड़ना मुश्किल क्यों है? आइए जानते हैं।

धमकी

पहले जानिए, कल 32 स्कूलों को धमकी भरे ईमेल में समूह ने क्या लिखा?

समूह ने ईमेल में लिखा, "हमनें स्कूल भवनों में पाइप बम और उन्नत विस्फोटक उपकरण लगाए हैं। 72 घंटों के भीतर हमारे एथेरियम पते पर 5,000 डॉलर क्रिप्टो करें, वरना हम बम विस्फोट कर देंगे। अगर मांगों को नजरअंदाज किया गया तो हैक किया गया स्कूल का डेटा ऑनलाइन लीक कर दिया जाएगा। जान बचाने के लिए अभी खाली करो। हम माफ नहीं करते। हम भूलते नहीं। पैसे भेजो या अंजाम भुगतो। पुलिस को कॉल किया तो अंजाम भुगतना होगा।"

जांच

दोपहर तक 32 स्कूलों में पहुंच गई पुलिस

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि स्कूलों की ओर से पहली सूचना करीब साढ़े 7 बजे मिली थी, उसके बाद एक-एक कर अन्य स्कूलों से भी सूचना मिलती गई। दोपहर तक सभी स्कूलों में डॉग स्क्वॉयड और बम निरोधक दस्ता पहुंच गया। इस दौरान स्कूल खाली करवा लिया गया। छात्रों को घर भेज दिया गया या खेल के मैदानों में बैठाया गया। हालांकि, जांच के बाद किसी भी स्कूल से कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला है।

सवाल

कहां से आ रहे हैं ये ईमेल?

हिंदुस्तान टाइम्स ने जांच अधिकारियों के हवाले से बताया कि ये ईमेल 4 तरीके से आ रहे हैं, जिससे पहचान छिपाने में उनको मदद मिल रही है। पहला तरीका गूगल है, जो वैश्विक सेवा प्रदाता है। दूसरा तरीका mail.ru या atomicmail.io जैसे प्रदाता हैं। तीसरा तरीका डार्कनेट और डार्क वेब का उपयोग करना है और चौथा तरीका प्रॉक्सी सर्वर या VPN का उपयोग है। इनमें गूगल को छोड़कर अन्य में ईमेल भेजने वाले का पता लगाना मुश्किल है।

मुश्किल

धमकी भरे ईमेल भेजने वालों का पता लगाना मुश्किल क्यों है?

जांचकर्ताओं ने बताया कि गूगल भारतीय एजेंसियों के साथ सहयोग कर IP एड्रेस देते हैं, जिससे ट्रैकिंग आसान होती है। इसके अलावा mail.ru या atomicmail.io जैसे प्रदाता पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) के जरिए संपर्क किए बिना भारतीय एजेंसियों के साथ डेटा साझा करने से इनकार करते हैं, जिसमें 2 साल तक का समय लग सकता है। डार्कनेट और डार्क वेब से भी पता लगाना लगभग नामुमकिन है और प्रॉक्सी सर्वर या VPN प्रेषक के स्थान को छिपा देता है।

जांच

पिछले साल 300 स्कूलों को भेजे गए ईमेल की जांच में कुछ नहीं मिला

पिछले दिनों जुलाई में 4 दिन तक स्कूलों को झूठी धमकियां मिली थीं और चौथे दिन रात में 45 स्कूलों और 3 कॉलेजों को एक साथ कई ईमेल मिले थे। मई 2024 में, लगभग 300 स्कूलों को इसी तरह की धमकी भरा एक सामूहिक मेल भेजा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, मई 2024 के ईमेल ऐसे ही डोमेन से भेजे गए थे, जिनका आज तक पता नहीं चल पाया है। पुलिस धमकी देने वालों तक पहुंचने में असमर्थ है।

जानकारी

तो पुलिस क्या कर रही है?

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि भले ही ईमेल अफवाह है, लेकिन वे इसे गंभीरता से ले रहे हैं और गहन जांच करते हैं। इसे फर्जी मानकर जान जोखिम में नहीं डाल सकते। ईमेल की पुष्टि होने तक जांच होती है। टीमें भी लगी हैं।