भारतीय झंडा लगे जहाज पर लाल सागर में हूती विद्रोहियों ने किया ड्रोन हमला
अमेरिकी सेना ने रविवार को लाल सागर में भारत का झंडा लगे एक मालवाहक जहाज पर ड्रोन हमले का एक बड़ा दावा किया है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने कहा है कि यमन के हूती विद्रोहियों ने गैबॉन के स्वामित्व वाले जहाज MV साईबाबा पर हमला किया है। अभी तक हमले में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन क्षेत्र में मौजूद एक अमेरिकी युद्धपोत को इस हमले के बाद इमरजेंसी कॉल भेजा गया था।
अमेरिकी सेंट्रल कमांड को मिली हमले की सूचना
अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने एक ट्वीट करते हुए यह जानकारी दी। इसमें कहा गया है कि 2 जहाजों ने दक्षिणी लाल सागर में अमेरिकी नौसैनिक जहाज को सूचित किया था कि उन पर हमला हो रहा है। इनमें से एक नॉर्वे का झंडा लगे और स्वामित्व वाले MV ब्लामेनन नामक रासायनिक टैंकर ने सूचना दी कि हूतियों द्वारा छोड़ा गया ड्रोन उनके बेहद करीब से गुजरा है और हमला दूसरा कच्चे तेल के टैंकर MV साईबाबा पर हुआ है।
कच्चा तेल लेकर जा रहा था MV साईबाबा
अमेरिकी सेना ने कहा कि यह हमला कल रात लगभग 10:30 बजे हुआ और हमले का शिकार गैबॉन के स्वामित्व वाले जहाज MV साईबाबा हुआ, जिस पर भारत का झंडा लगा हुआ है। उसने कहा कि यह जहाज अपने साथ कच्चा तेल लेकर जा रहा था और उसके अमेरिकी विध्वंसक युद्धपोत ने हाल में लाल सागर में यमन के हूती नियंत्रित क्षेत्रों से आने वाले 4 ड्रोनों को मार गिराया है।
अमेरिका के आरोपों से ईरान ने किया इनकार
अमेरिकी सेना ने कहा कि 17 अक्टूबर के बाद से हूती विद्रोहियों का वाणिज्यिक जहाजों पर 15वां हमला था। इससे पहले शनिवार को भारतीय तट पर MV केम प्लूटो जहाज पर हुए ड्रोन हमले के लिए अमेरिका ने ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। दूसरी ओर ईरान ने अमेरिका के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। ईरानी उप विदेश मंत्री अली बघेरी ने कहा कि हूती विद्रोही अपने निर्णय लेने में सक्षम है और उनका इसमें कोई हाथ नहीं है।
इजरायल-हमास युद्ध के बाद से हूती विद्रोहियों के हमले जारी
इजरायल-हमास युद्ध की शुरुआत के बाद से हूती विद्रोही हमास के समर्थन करते हुए लाल सागर में इजरायल के जहाजों को निशाना बना रहा है। विद्रोहियों ने लाल सागर में 100 से अधिक हमले किए हैं, जिसमें 35 से अधिक विभिन्न देशों के 10 व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया गया है। इन हमलों को देखते हुए प्रमुख कंपनियों ने लंबी यात्रा और उच्च ईंधन लागत के बावजूद दक्षिण अफ्रीका के आसपास अपने मालवाहक जहाजों ले जाना शुरू कर दिया है।