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भारतीय सेना को मिला पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन 'नागास्त्र-1', क्या है इसकी खासियत?
भारतीय सेना को आत्मघाती ड्रोन नागास्त्र का पहला बैच सौंपा जा चुका है

भारतीय सेना को मिला पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन 'नागास्त्र-1', क्या है इसकी खासियत?

लेखन आबिद खान
Jun 14, 2024
03:43 pm

क्या है खबर?

भारतीय सेना लगातार अपनी ताकत को बढ़ा रही है। इसी कड़ी में सेना को आज पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन मिल गया है। इसे 'नागास्त्र-1' नाम दिया गया है। ये लॉयटरिंग म्यूनिशन यानी आत्मघाती ड्रोन है। इसे नागपुर की इकोनॉमिक्स एक्सप्लोसिव लिमिटेड कंपनी और जेड मोशन ऑटोनॉमस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने बनाया है। फिलहाल पहले चरण में सेना को 120 ड्रोन सौंपे गए हैं। कुल 480 ड्रोन बेड़े में शामिल किए जाने हैं।

खासियत

क्या है खासियत? 

नागस्त्र-1 ड्रोन की रेंज 30 किलोमीटर तक है। इसका आधुनिक वर्जन 2 किलो से ज्यादा गोला-बारूद ले जाने में सक्षम है। ये बेहद कम आवाज करते हुए 1,200 मीटर की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। ये अपने साथ 2 किलोग्राम तक का वजन लेकर लगातार एक घंटे तक उड़ सकता है। 9 किलोग्राम वजनी ये ड्रोन 2 मीटर की सटीकता के साथ बेहद नजदीक से हमला करने में सक्षम है।

काम

कैसे करता है काम?

आत्मघाती ड्रोन वायु रक्षा प्रणाली का हिस्सा होते हैं। ये ड्रोन हवा में लक्ष्य के आसपास घूमते हैं और हमला करते हैं। इनके अंदर विस्फोटक भरकर लक्ष्य से टकराया जाता है। इस ड्रोन की वीडियो रेंज 15 किलोमीटर है। ये पूरी उड़ान के दौरान वीडियो रिकॉर्ड करता है। अगर लक्ष्य न मिले तो इसे वापस बुलाया जा सकता है। पैराशूट के जरिए इसकी सॉफ्ट लैंडिंग करवाई जा सकती है।

सामग्री

75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से बना

ड्रोन में इस्तेमाल की गई 75 प्रतिशत सामग्री स्वदेशी तौर पर विकसित की गई है। इसका डिजाइन पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है। यह इजरायल और पोलैंड से आयात किए गए हवाई हथियारों से करीब 40 फीसदी सस्ता है। इसकी मदद से सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ रोकी जा सकती है और ठिकानों को बर्बाद किया जा सकता है। कई तरह के परीक्षण के बाद इन्हें सेना को सौंपा गया है।

प्लस

न्यूजबाइट्स प्लस 

भारत ने पिछले साल ही अमेरिका के साथ MQ9-B प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए समझौता किया है। इसके अलावा भारतीय सेना के पास फिलहाल 4 तरह के ड्रोन हैं। इनमें स्वॉर्म, हरोप, हेरॉन और सर्चर-2 शामिल हैं। स्वार्म ड्रोन कई छोटे-छोटे ड्रोन होते हैं, जो मिलकर हमला करते हैं। हरोप, सर्चर-2 और हेरॉन तीनों इजरायल से खरीदे गए हैं, जो फिलहाल कई इलाकों में तैनात हैं। प्रीडेटर ड्रोन आने के बाद सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।