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कोरोना वायरस का बढ़ता कहर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार हैं ये प्राणायाम
रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने वाले प्राणायाम

कोरोना वायरस का बढ़ता कहर, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार हैं ये प्राणायाम

लेखन अंजली
Jan 12, 2022
06:30 am

क्या है खबर?

कोरोना वायरस की दहशत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में कोरोना को हराने के लिए सबको खुद की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करनी होगी ताकि कोरोना से लड़ा जा सके। अगर आप भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के तरीके खोज रहे हैं तो अपने रूटीन में कुछ प्राणायाम को शामिल करें। आइए आज हम आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूती देने में सक्षम हैं।

#1

अनुलोम विलोम प्राणायाम

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठें और अपनी दोनों आंखों को बंद कर लें। अब अपने दाएं हाथ के अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया दोहराने के बाद धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और प्राणायाम का अभ्यास छोड़ दें।

#2

नाड़ी शोधन प्राणायाम

नाड़ी शोधन प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें, फिर दाएं हाथ की पहली दो उंगलियों को माथे के बीचों-बीच रखें। अब अंगूठे से नाक के दाएं छिद्र को बंद करके नाक के बाएं छिद्र से सांस लें, फिर अनामिका उंगली से नाक के बाएं छिद्र को बंद करके दाएं छिद्र से सांस छोड़ें। इस दौरान अपनी दोनों आंखें बंद करके अपनी सांस पर ध्यान दें। कुछ देर बाद प्राणायाम छोड़ दें।

#3

भस्त्रिका प्राणायाम

भस्त्रिका प्राणायाम के लिए पहले योगा मैट पर सुखासन की अवस्था में बैठकर अपनी दोनों आंखें बंद करें। अब मुंह को बंद करते हुए नाक के दोनों छिद्रों से गहरी सांस लें, फिर एक झटके में दोनों नाक के छिद्रों से भरी हुई सांस को छोड़ें। ध्यान रखें कि सांस छोड़ने की गति इतनी तीव्र हो कि झटके के साथ फेफड़े सिकुड़ जाने चाहिए। कुछ मिनट इस प्राणायाम का अभ्यास करने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।

#4

भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम के लिए योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानों के पास लाएं और अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद करें, फिर हाथों की तर्जनी उंगलियों को माथे पर और मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को बंद आंखों के ऊपर रखें। इसके बाद मुंह बंद करें और नाक से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे प्राणायाम को छोड़ दें।