सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद 11 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देगी सेना
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद सेना 11 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए राजी हो गई है। सेना ने आज इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया और कहा कि इन महिला अधिकारियों के संबंध में जल्द ही फैसला लिया जाएगा। सेना के आश्वासन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे 26 नवंबर तक इन महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने को कहा है। पूरा मामला क्या है, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
स्थायी कमीशन न मिलने पर महिला अधिकारियों ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक आदेश के बाद भी सेना में स्थायी कमीशन न मिलने पर 11 महिला अधिकारियों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि पात्रता के सभी मापदंड पूरा करने के बावजूद स्थायी कमीशन के उनके आवेदन खारिज कर दिए गए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर इन अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं दी गई तो उन्हें कोर्ट की अवमानना का दोषी माना जाएगा।
समस्या के समाधान के लिए कोर्ट ने की सैन्य प्रशासन की प्रशंसा
कोर्ट की इस चेतावनी के बाद सेना इन 11 महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने पर राजी हो गई है। कोर्ट ने इस पर कहा, "हम महिला अधिकारियों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों का समाधान करने के लिए सैन्य प्रशासन की प्रशंसा करते हैं।"
क्या होता है स्थायी कमीशन?
भारतीय जल सेना, थल सेना और वायु सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के जरिए महिला अधिकारियों की नियुक्ति होती है। इस तरह भर्ती हुई अधिकारी केवल 14 साल तक सेवाएं दे पाती थीं और फिर रिटायर हो जाती थीं। चूंकि पेंशन का हकदार बनने के लिए 20 साल की नौकरी का प्रावधान है, इसलिए ये महिला अधिकारी पेंशन से वंचित रह जाती थीं। रिटायर होने के बाद इन्हें दूसरे रोजगार ढूंढने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बदली स्थिति
महिला अधिकारियों ने इस नियम के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसने 14 साल की सेवा के बाद महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का फैसला सुनाया था। रक्षा मंत्रालय इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी फरवरी, 2020 में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सेना को सभी पात्र महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने को कहा। कोर्ट ने केवल पुरुष अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के नियम को मनमाना बताया था।
महिलाओं को कमांडिंग पोस्ट देने का भी निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में महिला अधिकारियों को कमांडिंग पोस्ट देने का निर्देश भी दिया था। इस आदेश से पहले केवल पुरुष अधिकारियों को ही किसी सैन्य टुकड़ी की कमान दी जाती थी। केंद्र ने इसके लिए महिलाओं की शारीरिक सीमाएं और घरेलू दायित्व जैसे तर्क दिए थे। लेकिन कोर्ट ने इन सभी तर्कों को खारिज करते हुए इसे अतार्किक और समानता के अधिकार के खिलाफ बताया था।