भारत ने कनाडा में खालिस्तानी जनमत संग्रह पर चिंता जताई, ट्रूडो सरकार को भेजा आपत्ति पत्र
भारत सरकार ने प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की ओर से 6 नवंबर को कनाडा के ओंटारियो में प्रस्तावित जनमत संग्रह पर कड़ी चिंता जताते हुए जस्टिन ट्रूडो सरकार आपत्ति पत्र भेजा है। भारत ने इस जनमत संग्रह को भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिए चुनौती बताते हुए कनाडा सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग है और इससे भविष्य में कनाडा में सामने आने वाले खालिस्तान के दुष्परिणामों से भी अवगत कराया है।
SFJ की ओर से कराया जा रहा है जनमत संग्रह
पंजाब को भारत से अलग कर खालिस्तान बनाने की मांग करने वाले खालिस्तानी संगठन SFJ की ओर से इन दिनों कनाडा में जनमत संग्रह आयोजित किया जा रहा है। इसके तहत 18 सितंबर को ओंटारियो के ब्रैम्पटन शहर में इसका आयोजन किया जा चुका है। उसमें 10,000 से अधिक लोगों ने वोट किया था। बड़ी बात यह है कि भारत सरकार ने इसका कड़ा विरोध किया था, लेकिन उसके बाद भी कनाडा सरकार ने इसके आयोजन की अनुमति दे दी।
SFJ ने 6 नवंबर को दूसरा जनमत संग्रह कराने की तैयारी की
पहले जनमत संग्रह के बाद अब SFJ ने 6 नवंबर को ओंटारियो में दूसरा जनमत संग्रह करने का ऐलान किया है। उसके कार्यकर्ता विभिन्न गुरुद्वारों में आने वालों को खालिस्तानी साहित्य और जनमत संग्रह से सम्बंधित पत्र वितरित कर रहे हैं और उनसे इसमें शामिल होने की अपील कर रहे हैं। SFJ के इस कदम का भारत समर्थक कनाडाई समुदाय कड़ा विरोध कर रहा है और भारत सरकार से इस पर रोक के लिए कदम उठाने की मांग की है।
भारत ने कनाडा सरकार को भेजा आपत्ति पत्र
इस मामले में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कनाडाई उच्चायोग के वरिष्ठ अधिकारी को आपत्ति पत्र भेजा गया है। प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "पत्र में कहा गया है कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस आपत्तिजनक जनमत संग्रह को एक मित्र देश में अनुमति दी जा रही है। हमने पहले भी इस पर चिंता जताई थी। हमने कनाडा सरकार को विभिन्न स्तरों पर अपनी चिंताओं से अवगत कराते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है।"
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कनाडा को किया आगाह
बागची ने कहा कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने अपने कनाडाई समकक्षों को आगाह किया कि वो गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे सिख चरमपंथियों को खालिस्तान के नाम पर सिख युवाओं और समुदाय को बड़े पैमाने पर कट्टरपंथी बनाने से न रोककर आग से खेल रहे हैं। इसी तरह भारतीय वरिष्ठ अधिकारियों ने अपने कनाडाई समकक्षों से स्पष्ट रूप से कहा कि अगर ट्रूडो सरकार ने चरमपंथियों को नहीं रोका तो कट्टरपंथी कनाडा में भी खालिस्तान बना सकते हैं।
कनाडा सरकार ने भारत के विरोध के बाद भी जनमत संग्रह पर नहीं लगाई रोक
बागची ने कहा कि कनाडाई सरकार ने 16 सितंबर को रिकॉर्ड में कहा था कि वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करती है और तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देती है, लेकिन इसके बाद भी उसने 18 सितंबर को ओंटारियो में हुए जनमत संग्रह पर रोक नहीं लगाई। इसके पीछे कनाडा सरकार का कहना है कि उनके देश में बिना कानून तोड़े लोगों को एकत्र होने और अपने विचार रखने का अधिकार दिया गया है।
चरमपंथियों ने की थी मंदिर में तोड़फोड़
पहले जनमत संग्रह का भारतीय समुदाय द्वारा विरोध करने पर खालिस्तानी समर्थकों ने ब्रैम्पटन में स्वामीनारायण मंदिर जैसे भारतीय मंदिरों में तोड़फोड़ की थी और झंडे फहराए थे। इसके बाद भी पुलिस कार्रवाई करने की जगह मामले को जांच के नाम पर अटकाए बैठी है।