इनकम टैक्स विभाग का दावा, BBC के सर्वे में मिली टैक्स में अनियमितता
इनकम टैक्स विभाग ने आज बयान जारी करते हुए दावा किया कि BBC के सर्वे में उसे टैक्स से संबंधित कई अनियमितताएं मिली हैं। विभाग ने कहा कि विभिन्न भारतीय भाषाओं में कंटेट की अच्छी-खासी खपत के बावजूद समूह द्वारा दिखाई गई आय और लाभ भारत में उसके संचालन के अनुरूप नहीं हैं। उसने समूह पर कुछ प्राप्त धन को आय के तौर पर न दिखाने और इस पर टैक्स न देने का आरोप भी लगाया है।
विभाग ने अपने बयान में और क्या-क्या कहा?
BBC का नाम लिए बिना इनकम टैक्स विभाग ने अपने बयान में कहा कि सर्वे के दौरान विभाग को कई ऐसे सबूत मिले जो दर्शाते हैं कि कुछ प्राप्त धन पर टैक्स नहीं दिया गया और समूह की विदेशी कंपनियों ने इसे भारत में आय के तौर पर नहीं दिखाया। उसके अनुसार, सर्वे में यह भी सामने आया कि ऐसे कर्मचारियों की सेवाएं ली गईं, जिनके लिए भारतीय कंपनी ने विदेशी कंपनी को भुगतान किया, जो कानून मुताबिक नहीं है।
स्थानांतरण मूल्य निर्धारण दस्तावेजों में भी मिलीं विसंगतियां- विभाग
विभाग ने कहा कि सर्वे में स्थानांतरण मूल्य निर्धारण दस्तावेजों में भी विसंगतियां मिली हैं। उसने कहा कि सर्वे में कर्मचारियों के बयानों, डिजिटल सबूतों और दस्तावेजों के जरिए कई अहम सबूत मिले हैं, जिनकी बाद में समीक्षा की जाएगी। विभाग ने स्पष्ट किया कि उसने केवल उन कर्मचारियों के बयान दर्ज किए, जिनका मामले में अहम भूमिका है। उसने BBC पर दस्तावेजों और समझौतों को पेश करने के नाम पर विलंब करने की रणनीति अपनाने का आरोप भी लगाया।
लगभग 60 घंटे चला था BBC का सर्वे
बता दें कि इनकम टैक्स विभाग ने मंगलवार सुबह BBC के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों पर सर्वे शुरू किया था, जो लगभग 60 घंटे बाद गुरूवार रात को खत्म हुआ। इस दौरान वरिष्ठ संपादकों समेत कई कर्मचारियों के बयान लिए गए और उनके फोन और लैपटॉप की जांच भी की गई। सर्वे के बाद BBC ने कहा कि वह बिना भय और लोभ-लाभ के लोगों तक समाचार पहुंचाता रहेगा। विपक्ष ने भी मामले में सरकार पर निशाना साधा है।
सर्वे की टाइमिंग पर सवाल
BBC के भारत स्थित दफ्तरों का सर्वे उस समय हुआ, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनाई गई उसकी डॉक्यूमेंट्री के कारण यह मीडिया समूह विवादों में है। जनवरी में आई 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की डॉक्यूमेंट्री में 2002 गुजरात दंगों के लिए नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें बताया गया कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसे सुनियोजित साजिश बताया था।