भारत-पाकिस्तान में सिर्फ सरहद का नहीं, जानवरों और कलाकृतियों का भी हुआ था बंटवारा
भारत की आजादी की कहानी जितनी तकलीफ से भरी है, उतनी ही दिलचस्प भी है। खासकर बंटवारे का वो समय जब भारत-पाकिस्तान के बीच वस्तुओं, जानवर, कलाकृतियों का बंटवारा हो रहा था। विभाजन के बाद, 1950 के दशक में विभाजन परिषद के आधिकारिक समझौते के तहत खुदाई में मिली प्राचीन वस्तुओं और अवशेषों को भी दोनों देशों के बीच बराबर बांटना था। अधिकारियों को पंखे से लेकर पिन बोर्ड में तय करना था कि कौन सी चीज कहां जाएगी।
भारत ने सिक्का उछालकर जीती थी सोने की परत चढ़ी बग्घी
इनरूट इंडियन हिस्ट्री के मुताबिक, बंटवारे के दौरान सोने की परत चढ़ी घोड़े की बग्घी जो भारत के वायसराय की थी, उस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ने दावा किया। बाद में इसके लिए एक सिक्का उछालकर स्वामित्व तय किया गया, जिसे भारत ने जीता था और तब से बग्घी भारत में ही है। इसे अक्सर 'प्रेसिडेंशियल बग्घी' भी कहा जाता है। ऐसा ही बंटवारे का किस्सा पशुओं से भी जुड़ा हुआ है, जो काफी दिलचस्प है।
जॉयमोनी हाथी के लिए टकराव
पशुओं के बंटवारे से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा जॉयमोनी नामक एक हाथी से जुड़ा हुआ भी है। दोनों देश जॉयमोनी को लेकर भीड़ गए, फिर इसका मूल्य एक स्टेशन वैगन कार के बराबर तय किया गया। बंटवारे में पश्चिम बंगाल को वाहन मिला और पूर्वी बंगाल (तब का पाकिस्तान) को हाथी। उस समय जॉयमोनी पश्चिम बंगाल में था, जिसे सीमा पार ले जाना पड़ा। यह विवाद और गहरा हो गया था, जब जॉयमोनी के महावत ने भारत को चुना था।
किसे मिलीं 60 बत्तखें?
रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा ही एक मामला 60 बत्तखों के बंटवारे से भी जुड़ा है। 1946 में अभिवाजित कृषि विभाग ने किसी समय इनका ऑर्डर दिया था और बत्तखों की कीमत उस समय लगभग 3,000 रुपये से अधिक थी। इनको लेकर भी विवाद हुआ था कि इन बत्तखों के लिए पैसे कौन देगा और इनको रखेगा कौन। ऐसे ही सिंधु घाटी के स्थल से मिले कंगन को भी 2 टुकड़ों में बांटा गया था।
सभ्यता को अपना बनाने के लिए लड़ी लड़ाई
भारत और पाकिस्तान ने प्रसिद्ध प्रागैतिहासिक स्थल-सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेष और दावों को लेकर लड़ाई लड़ी थी। हर पक्ष पर दोनों अपना दावा पेश करना चाहते थे, क्योंकि यह साधारण इतिहास नहीं था। उस समय दो प्रमुख हड़प्पा और मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के थे, जबकि भारत कुछ अन्य समृद्ध स्थलों जैसे धोलावीरा, राखीगढ़ी, कालीबंगन आदि का ठिकाना था। विभाजन के समय कई किताबों का भी बंटवारा हुआ था।