हैदराबाद: ऑपरेशन से फिंगरप्रिंट बदलकर दिलाते थे कुवैत का वीजा, चार आरोपी गिरफ्तार
क्या है खबर?
कहते हैं इंसान की तकदीर उसके हाथों की लकीरों में होती है और इन लकीरों को कोई नहीं बदल सकता है, लेकिन तेलंगाना पुलिस ने इन लकीरों को बदलकर तकदीर बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है।
पुलिस ने हैदराबाद से ऑपरेशन के जरिए अंगुलियों के फिंगरप्रिंट बदलकर लोगों को रोजगार के लिए कुवैत का वीजा दिलाने वाले गिरोह के दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
इसी तरह फिंगरप्रिंट बदलवाने वाले दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है।
गिरोह
गिरोह में रेडियोलॉजिस्ट से लेकर एनेस्थीसिया तकनीशियन तक शामिल
राचाकोंडा पुलिस आयुक्त महेश एम भागवत ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में गिरोह के गज्जलकोंडुगरी नागा मुनेश्वर रेड्डी, सागाबाला वेंकट रमना और फिंगरप्रिंट बदलवाने वाले बोविला शिव शंकर रेड्डी और रेंडला रामा कृष्ण रेड्डी हैं।
उन्होंने बताया कि मुनेश्वर रेड्डी चंद्रगिरी में कृष्णा डायग्नोस्टिक्स में रेडियोलॉजिस्ट और वेंकट रमना तिरुपति के डीबीआर अस्पताल में एनेस्थीसिया तकनीशियन का काम कर चुका है।
इसी तरह दो अन्य आरोपी निर्माण श्रमिक हैं। सभी आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिला निवासी हैं।
फीस
आरोपी 25,000 रुपये में बदलते थे फिंगरप्रिंट
पुलिस आयुक्त भागवत ने बताया कि यह गिरोह अब तक राजस्थान और केरल के 11 लोगों की हथेलियों का ऑपरेशन कर उनके फिंगरप्रिंट पैटर्न बदल चुका है। इसके लिए आरोपियों ने प्रत्येक व्यक्ति से सर्जरी के बदले 25,000 रुपये की फीस ली थी।
उन्होंने बताया कि सोमवार को आरोपी हैदराबाद के होटल में ठहरे हुए थे और घाटकेसर में अन्य लोगों के भी इसी तरह के ऑपरेशन करने की तैयारी में थे, लेकिन किसी ने पुलिस को सूचना दे दी।
कार्रवाई
पुलिस ने कैसे दिया कार्रवाई को अंजाम?
पुलिस आयुक्त भागवत ने बताया कि गुप्त सूचना पर मलकाजगिरी जोन से एक विशेष जांच दल ने सोमवार को घाटकेसर पुलिस के साथ एक संयुक्त अभियान चलाया था। उस दौरान टीम ने पहले होटल को चारों तरफ से घेर लिया और फिर उसके बाद दबिश देकर गिरोह के दो सदस्यों सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
उन्होंने बताया कि पुलिस ने मौके से सर्जरी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मेडिकल किट और अन्य सबूत भी बरामद किए हैं।
कारण
क्यों बदले जा रहे थे फिंगरप्रिंट?
पुलिस आयुक्त भागवत ने बताया कि फिंगरप्रिंट बदलकर उन लोगों की कुवैत में दोबारा प्रवेश करने में मदद की जाती है, जिन्हें कुवैत से आपराधिक गतिविधियों के कारण निर्वासित किया गया था।
उन्होंने बताया कि इन लोगों के सामान्य तौर पर वापस जाने पर हवाई अड्डे पर फिंगरप्रिंट से उनका पिछला रिकॉर्ड सामने आ जाता है और उन्हें वहीं से वापस भेज दिया जाता है। ऐसे ये गिरोह फिंगरप्रिंट बदलकर उन्हें कुवैत भेजने का काम कर रहा था।
जानकारी
कुवैत में जांच की पुरानी तकनीक से बढ़ा आरोपियों का हौंसला
पुलिस आयुक्त भागवत ने बताया कि कुवैत के हवाई अड्डे पर फ्रिंगरप्रिंट जांच में अभी भी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किए जाने के कारण बदले हुए फ्रिंगरप्रिंट पकड़ में नहीं आ रहे थे। इसी को देखते हुए आरोपियों के हौंसले बुलंद हो रहे थे।
प्रक्रिया
कैसे बदले जाते हैं फिंगरप्रिंट?
आरोपियों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान उंगलियों की नोंक वाले हिस्से पर स्किन की ऊपरी परत काटकर हटाई जाती है। उसके बाद टिश्यू का एक हिस्सा काटकर दोबारा स्किन को वहीं पर सिल दिया जाता है।
इसके बाद घाव भरने पर करीब एक साल के दौरान धीरे-धीरे फिंगरप्रिंट पैटर्न हल्का सा बदल जाता है। इसके बाद ऑपरेशन कराने वाले लोग अपने फिंगरप्रिंट को आधार डाटा में अपडेट करा लेते हैं और फिंगरप्रिंट में बदलाव का कारण मजदूरी बताते हैं।
जानकारी
आधार डाटा अपडेट होने के बाद पासपोर्ट में बदलवाते हैं पता
पुलिस ने बताया कि फिंगरप्रिंट बदलवाने वालों के आधार डाटा अपडेट कराने के बाद वह पासपोर्ट में नया पता दर्ज कराते हैं और उसके आधार पर उन्हें कुवैत का वीजा मिल जाता है। फिंगरप्रिंट में बदलाव होने से उनका पुराना डाटा भी सामने नहीं आता।
शुरुआत
गिरोह ने ऐसे की फिंगरप्रिंट बदलने की शुरुआत
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह कुवैत से निर्वासित किए गए एक व्यक्ति से मिले थे, लेकिन बातचीत में सामने आया कि श्रीलंका में फिंगरप्रिंट ऑपरेशन कराने के बाद वह फिर से कुवैत जाने में सफल रहा था।
उन्होंने इसकी तकनीक जानने के बाद सबसे पहले राजस्थान में दो लोगों के फिंगरप्रिंट का ऑपरेशन किया था।
उसके बाद उन्होंने केरल सात और अपने ही गांव के तीन अन्य लोगों के भी फिंगरप्रिंट बदलने के लिए ऑपरेशन किया था।