असम: बागजन क्षेत्र के गैस कुएं में 100 दिन बाद भी नहीं बुझ पाई है आग
असम के बागजन क्षेत्र में ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के गैस कुएं में विस्फोट के साथ लगी आग गुरुवार को 100 दिन बाद तक भी नहीं बुझ पाई है। आज भी कई किलोमीटर दूर से लपटों को देखा जा सकता है। मामले में वाणिज्य और उद्योग मंत्री चंद्र मोहन पटोवरी बुधवार को विधानसभा में आग बुझाए जाने के प्रयासों की जानकारी दी और आग पर काबू पाने में छह से आठ सप्ताह का समय और लगने की बात कही।
गत 9 जून को धमाके के साथ लगी थी कुएं में आग
बता दें कि गत 9 जून को बागजन क्षेत्र में डिब्रू-सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान और मगुरी मोटापुंग के पास OIL के गैस कुएं में गैस रिसाव के बाद तेज धमाके के साथ आग लग गई थी। उसके बाद से विशेषज्ञों की टीमें आग बुझाने के प्रयास में जुटी थी, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी बीच गत 22 जुलाई को कुएं के पास तेज धमाका हो गया था। जिसमें सिंगापुर स्थित फर्म अलर्ट डिजास्टर कंट्रोल के तीन कर्मचारी घायल हो गए थे।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने विधानसभा में दिया जवाब
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार गैस कुएं में लगी आग के संबंध में विधानसभा में कांग्रेस विधायक दुर्गा भूमित द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब देते हुए मंत्री पटोवरी ने कहा कि कनाड़ा के विशेषज्ञ 'स्नबिंग' उपकरण के साथ आग बुझाने के लिए असम आ रहे हैं। आग बुझाने में अभी छह से आठ सप्ताह का समय और लगेगा। उन्होंने कहा कि आग बुझाने का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है और जल्द ही इस पर काबू पा लिया जाएगा।
आग पर काबू पाने के लिए गैस को किया जा रहा है डायवर्ट
मंत्री पटोवरी ने बताया कि आग बुझाने के लिए अब वैकल्पिक प्रयास भी किए जा रहे हैं। इसके तहत कुएं से निकलने वाली गैस को पाइपलाइनों के साथ डायवर्ट किया जा रहा है। OIL प्रवक्ता त्रिदीप हजारिका ने बताया कि यह एक तकनीकी प्रयास है। इसमें पाइप लाइनों को BOP के साथ जोड़ा जा रहा है। इसके द्वारा गैस को बागजन प्रारंभिक उत्पादन प्रणाली से होते हुए OIL के दैनिक गैस उत्पादन की ओर डायवर्ट किया जाएगा।
गैस के डायवर्ट होने से मिलेगी राहत
हजारिका ने कहा कि सफलता मिलने पर कुएं की आग और आवाज कम हो जाएगी। इससे आस-पास के स्थानीय लोगों को भी बड़ी राहत मिलेगी। बता दें कि वर्तमान में अधिकतर लोग अपने घरों को लौट चुके हैं और महज 500 लोग ही बागजन और गुईजन के राहत शिविरों में रह रहे हैं। शुरुआत में करीब 3,000 लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया था। लोगों का कहना है कि कुएं से पांच किलोमीटर तक आवाज सुनी जा सकती है।
बाढ़ के कारण प्रभावित हुआ आग बुझाने का कार्य
OIL प्रवक्ता त्रिदीप हजारिका के अनुसार आग बुझाने के प्रयासों को असम में आई बाढ़ ने खासा प्रभावित किया है। बाढ़ के कारण बागजान जाने वाली सड़के जलमग्न हो गई थी। इससे कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंच पा रहे थे।
मुआवजे के लिए किया जा रहा है विरोध प्रदर्शन
इधर, आग के कारण हुए नुकसान का मुआवजा लेने के लिए 200 से अधिक ग्रामीण मिलनज्योति युवा संघ के नेतृत्व में उपायुक्त कार्यालय के बाद विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष हेमंत मोरन ने कहा कि पूरी तरह से घर खोने वालों को तो मुआवजा मिल गया, लेकिन आंशिक नुकसान झेलने वालों को नहीं दिया गया है। उनके साथ हुए भेदभाव के कारण अब ग्रामीण स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
मुआवजे के लिए तय की गई थी तीन श्रेणियां
आग से नुकसान झेलने वालों को मुआवजा देने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने तीन श्रेणियां बनाई थी। इसमें पूरी तरह से घर खोने वालों को 25 लाख, गंभीर क्षतिगस्त वालों को 10 लाख और आंशिक क्षतिग्रस्त वालों को 2.5 लाख रुपये मुआवजा देने की सिफारिश की थी। तिनकसुनिया जिला कलक्टर भास्कर पेगू ने कहा कि दूसरी और तीसरी श्रेणी के मुआवजे के लिए समिति से चर्चा की जा रही है।
ग्रामीणों को यह मिला है मुआवजा
मंत्री पटोवरी ने विधानसभा में बताया कि पूरी तरह से घर खोने वाले 12 परिवारों को 20-20 लाख, गंभीर क्षतिग्रस्त वाले 1,484 परिवारों को 30-30 हजार और 1,197 आंशिक क्षतिग्रस्त वालों को 25-25 हजार रुपये का मुआवजा दिया जा चुका है।