हीराबेन का गांधीनगर में हुआ अंतिम संस्कार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे मौजूद
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी को आज गुजरात के गांधीनगर में खाक के सुपुर्द कर दिया गया।
उनका आज सुबह लगभग 3:30 बजे अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में 99 साल की उम्र में निधन हो गया था। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें मंगलवार को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
हीराबेन के अंतिम संस्कार में मोदी परिवार के करीबी सदस्य ही शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने अपने अन्य भाइयों के साथ मिलकर उनकी अर्थी उठाई।
प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री बोले- मां में हमेशा त्रिमूर्ति का अनुभव किया
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर अपनी मां हीराबेन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, 'शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम... मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से।'
प्रतिक्रिया
सभी के लिए आदर्श रहीं हीरा बा- अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की पूज्य माताजी हीरा बा के स्वर्गवास की सूचना अत्यंत दुखद है। मां एक व्यक्ति के जीवन की पहली मित्र और गुरु होती है जिसे खोने का दुख निस्संदेह संसार का सबसे बड़ा दुख है। हीरा बा ने जिन संघर्षों का सामना करते हुए परिवार का पालन पोषण किया, वो सभी के लिए एक आदर्श हैं। उनका त्यागपूर्ण तपस्वी जीवन सदा हमारी स्मृति में रहेगा।'
रिश्ता
प्रधानमंत्री मोदी को मां हीराबेन से था खास लगाव
प्रधानमंत्री मोदी को अपनी मां से खास लगाव था और वह उनके लिए सबसे बड़ी प्रेरणास्त्रोत रहीं।
वो हर खास मौके पर उनसे मुलाकात करने जाते थे, चाहें फिर उनका जन्मदिन हो या कोई बड़ी चुनावी जीत।
आखिरी बार गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां से मिले थे।
इससे पहले जून में उन्होंने हीराबेन के 99वें जन्मदिन पर घर पहुंचकर मुलाकात की थी और उनके लिए 'मां' नाम से एक ब्लॉग भी लिखा था।
परिचय
छोटी उम्र में हो गई थी हीराबेन की शादी
8 जून, 1923 को हीराबेन मोदी का जन्म हुआ था। उनकी शादी छोटी उम्र में ही वडनगर के रहने वाले दामोदरदास मूलचंद मोदी से हो गई थी, जो चाय का स्टॉल चलाते थे।
हीरोबेन की कुल छह संतानें हैं, जिनमें पांच लड़के और एक लड़की शामिल हैं।
उन्हें अपने पुराने वडनगर वाले घर में ही रहना अच्छा लगता था, लेकिन पति की मौत के बाद वह अपने सबसे छोटे बेटे पकंज से साथ रहने गांधीनगर आ गई थीं।