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    गुजरात: मोरबी में कैसे हुआ केबल सस्पेंशन पुल गिरने का हादसा?
    गुजरात के मोरबी में केबल पुल गिरने से हुई 141 लोगों की मौत

    गुजरात: मोरबी में कैसे हुआ केबल सस्पेंशन पुल गिरने का हादसा?

    लेखन भारत शर्मा
    Oct 31, 2022
    02:41 pm

    क्या है खबर?

    गुजरात के मोरबी में रविवार शाम को मच्छू नदी पर बने केबल सस्पेंशन पुल के गिरने की घटना में मृतकों की संख्या 141 पहुंच गई है। जबकि दर्जनों लोगों को अस्पताल में उपचार चल रहा है।

    इसी तरह 177 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। राहत और बचाव कार्य अभी भी जारी है। इस घटना ने पूरे देश को झकझौर दिया है।

    ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ ।

    पृष्ठभूमि

    25 अक्टूबर को खोला गया था पुल

    गुजरात पुलिस ने बताया कि 765 फीट लंबा पुल मरम्मत कार्य के चलते पिछले सात महीने से बंद था। इसी महीने 26 अक्टूबर को इसे आम जनता के लिए खोला गया था। इस पर जाने के लिए नगर निगम ने 15 रुपये का टिकट निर्धारित कर रखा है।

    पुलिस ने बताया कि रविवार को छठ पूजा के लिए 400-500 लोग पुल पर जमा थे। इसके चलते पुल की एक तरफ की केबल टूट गई और यह नदी में जा समाया।

    जानकारी

    कंपनी ने तय समय से पहले आम जनता के लिए खोला पुल

    नगर निगम और ओरेवा की मालिकाना कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, पुल को मरम्मत के लिए आठ से 12 महीने के लिए बंद रखा जाना था, लेकिन कंपनी ने इसे सात महीने में ही खोल दिया।

    अनुमति

    बिना फिटनेस सर्टिफिकेट और अनुमति के खोला गया था पुल

    पुल के मोरबी नगर निगम की संपत्ति होने के बाद भी उसने पूरी जिम्मेदारी मरम्मत कार्य करने वाली कंपनी पर डाल दी।

    नगर निगम अध्यक्ष संदीप जाला का कहना है कि ओरेवा नामक एक प्राइवेट कंपनी को पुल की मरम्मत का ठेका दिया गया था। कंपनी ने मरम्मत के बाद बिना सूचना दिए पुल को आम लोगों के लिए खोल दिया।

    उन्होंने कहा कि पुल की गुणवत्ता जांच होनी थी, लेकिन कंपनी ने बिना फिटनेस सर्टिफिकेट ही पुल खोल दिया।

    भीड़

    भीड़ जमा होने पर भी दिए गए टिकट

    हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, टिकट व्यवस्था की जानकारी रखने वाले सुलेमान ने बताया कि आम तौर पर एक तरफ से पुल पर प्रवेश करते हैं और दूसरे तरफ निकल जाते हैं। सुरक्षाकर्मी पुल पर खड़े लोगों को देखते हैं और भीड़ होने पर टिकट देना बंद कर दिया जाता है, लेकिन रविवार को ऐसा नहीं हुआ।

    उन्होंने बताया कि पुल पर अचानक लोगों की भीड़ बढ़ गई और एक तरफ के केबल टूटने के बाद वह नदी में गिर गया।

    परेशानी

    बिना टिकट लिए पुल पर पहुंच गए लोग

    नगर निगम के एक अधिकारी ने प्रारंभिक जांच के आधार पर कहा कि टिकट काउंटर से 220 लोगों को टिकट जारी किए गए थे, लेकिन कई लोग बिना टिकट लिए भी पुल पर पहुंच गए।

    उन्होंने बताया कि पुल पर तैनात एकमात्र सुरक्षाकर्मी ने लोगों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन वो नहीं माने और पुल पर पहुंच गए।

    उन्होंने कहा कि शाम 6:15 बजे पुल पर 400-450 लोग मौजूद थे और इसके चलते ही यह हादसा हुआ है।

    हालात

    पुल के गिरने के बाद रेलिंग पर लटक गए दर्जनों लोग

    एक स्थानीय निवासी ने बताया कि पुल के गिरने के बाद दर्जनों लोग उसकी एक तरफ के रेलिंग पर लटक गए। इसके बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई और वहां लगी बिजली भी गुल हो गई। इससे लोगों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।

    लोगों ने बताया कि चीख-पुकार सुनकर आस-पास के लोगों ने मौके पर पहुंचकर रेलिंग से लटके करीब 35 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया, लेकिन तब तक भी बचाव कार्य शुरू नहीं हो पाया था।

    परेशानी

    20 मीटर की गहराई वाली जगह गिरे सबसे अधिक लोग

    सुलेमान ने बताया कि स्थानीय मछुआरों ने अपनी नावों के जरिए लोगों को बचाने का काम शुरू कर दिया था। कुछ तैराक भी पानी में उतर गए, लेकिन अधिकतर लोग 20 मीटर की गहराई वाली जगह गिरे थे। ऐसे में मछुआरे भी उन्हें बचाने में कामयाब नहीं हो सके।

    उन्होंने बताया कि अंधेरे के कारण करीब 45 मिनट तक बचाव कार्य को रोकना पड़ा था। बाद में प्रशासन के फ्लट लाइटें लगाने पर 8:15 बजे बचाव कार्य शुरू किया गया।

    कार्रवाई

    पुलिस ने मरम्मत कार्य करने वाली कंपनी के खिलाफ दर्ज किया मामला

    मोरबी पुल हादसे के बाद पुलिस ने पुल की मरम्मत करने वाली कंपनी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 और 114 के तहत मामला तो दर्ज कर लिया, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।

    इधर, गुजरात सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का भी गठन किया है। यह समिति हादसे के कारणों की जांच के साथ जिम्मेदारी तय करते हुए रिपोर्ट तैयार करेगी।

    ब्रिज का इतिहास

    लगभग 140 साल पुराना था पुल

    यह पुल 140 साल से ज्यादा पुराना था। यह पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर था। इसका उद्घाटन 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था।

    यह पुल उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से 1880 में बनकर तैयार हुआ था। इसके निर्माण के लिए पूरा सामान इंग्लैंड से मंगवाया गया था।

    उसके बाद कई बार इसका रेनोवेशन किया जा चुका है। दिवाली से पहले इसकी मरम्मत पर दो करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

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