#NewsBytesExplainer: कैंसर की दवाओं पर GST घटा; कितनी सस्ती होंगी, आपको क्या होगा फायदा??
कैंसर से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों के लिए राहत भरी खबर है। सरकार ने कैंसर की दवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) 12 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई GST परिषद की बैठक में ये फैसला लिया गया है। इससे ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और ड्यूरवालुमैब सहित कई दवाओं की कीमत घटने के आसार हैं। आइए जानते हैं इससे आपको क्या फायदा है।
सबसे पहले दवाओं के बारे में जानिए
ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन एक एंटीबॉडी दवा है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से स्तन कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। गैस्ट्रिक कैंसर के इलाज में भी इसके उपयोग पर अध्ययन हो रहे हैं। ओसिमर्टिनिब एक लक्षित थेरेपी है, जिसका उपयोग फेफड़ों के कैंसर के विभिन्न प्रकारों के इलाज के लिए किया जाता है। डुरवालुमैब का उपयोग नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC), मूत्राशय कैंसर, स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC), पित्ताशय की थैली का कैंसर और यकृत कैंसर में किया जाता है।
GST घटने के बाद कितनी बदलेंगी कीमतें?
ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन की एक शीशी की कीमत पहले करीब 3,49,800 रुपये थी, जो अब लगभग 3.29 लाख से 3.34 लाख रुपये हो सकती है। ओसिमेरटिनिब टैबलेट के 3 पत्तों की कीमत पहले 1,17,500 रुपये थी। अब ये करीब 97,500 रुपये से 1,02,500 रुपये के बीच हो सकती है। डुरवालुमैब का एक पैकेट पहले 1,57,000 रुपये के करीब आता था, जो अब 1,37,000 से 1,42,000 रुपये तक में मिलने की उम्मीद है। बता दें कि ये अनुमानित कीमतें हैं।
कितने मरीजों को होगा फायदा?
साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी (GLOBOCAN) के अनुमानों के अनुसार, साल 2020 में दुनियाभर में 1.93 करोड़ कैंसर के मामले सामने आए थे। चीन और अमेरिका के बाद कैंसर के नए मामलों में भारत तीसरे नंबर पर था। अनुमान है कि 2020 की तुलना में 2040 तक भारत में कैंसर के मरीज बढ़कर 20 लाख तक हो जाएंगे।
मरीजों पर आर्थिक बोझ कितना होगा कम?
दिल्ली के PSRI अस्पताल में हेमाटोलॉजी ऑन्कोलॉजी के डॉक्टर अमित उपाध्याय ने इंडिया टुडे से कहा, "GST के फैसले से चिकित्सा पर प्रति माह 15,000 से 20,000 रुपये की कमी आएगी। चूंकि, कई दवाएं काफी महंगी हैं, इसलिए सरकार को इस बदलाव के तहत कैंसर की अधिक दवाओं पर विचार करना चाहिए।" अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से दवाओं की कीमत में 15-20 प्रतिशत तक की कमी आएगी।
कितना कारगर होगा ये कदम?
जानकारों का कहना है कि जिन दवाओं की कीमत कम हो सकती हैं, उनमें से ज्यादातर महंगी होने के चलते पहले से ही कैंसर रोगियों की पहुंच से बाहर हैं। दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टर रमेश सरीन ने द प्रिंट से कहा, "ये दवाएं बहुत महंगी हैं। केवल 5 प्रतिशत लोग ही इन्हें खरीद सकते हैं। जो लोग खर्च वहन कर सकते हैं और जो 95 प्रतिशत आबादी इसका खर्च वहन नहीं कर सकती उनमें बड़ी असमानता है।"
कितना महंगा होता है कैंसर का इलाज?
टाटा मेमोरियल सेंटर द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, भारत में 3 प्रतिशत से भी कम कैंसर रोगियों के पास आशाजनक नए उपचारों तक पहुंच हैं। कुछ मामलों में कैंसर के इलाज के लिए इम्यूनोथेरेपी की लागत सालाना 50 लाख रुपये तक होती है। ऊपर हमने जिन दवाओं का जिक्र किया है, उन सभी की कीमत लाखों में हैं। इसके अलावा भी कैंसर की जो दवाएं हैं, वे बेहद महंगी हैं।