
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड का पुनर्गठन किया, पूर्व RAW प्रमुख को बनाया अध्यक्ष
क्या है खबर?
पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान से तनाव के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) का नए सिरे से गठन किया है। रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के प्रमुख रहे आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है।
वहीं, बोर्ड में अब 7 सदस्य होंगे, जिनमें अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इससे बोर्ड में खुफिया, कूटनीति, रक्षा और सैन्य संतुलन बना रहेगा।
समिति
बोर्ड में किसे मिली जगह?
भारतीय सेना में रहे 3 लोगों को बोर्ड में जगह मिली है। पश्चिमी एयर कमांडर रहे एयर मार्शल पीएम सिन्हा, दक्षिणी आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह और रियर एडमिरल मोंटी खन्ना को बोर्ड का सदस्य बनाया गया है।
इसके अलावा भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी रहे राजीव रंजन वर्मा और मनमोहन सिंह और भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी वेंकटेश वर्मा को भी 7 सदस्यीय बोर्ड में जगह मिली है।
परिचय
कौन हैं आलोक जोशी?
जोशी 1976 बैच के हरियाणा कैडर के IPS अधिकारी हैं।
वे 2012 से 2014 तक RAW के प्रमुख और 2015 से 2018 तक NTRO के अध्यक्ष रहे हैं।
उन्होंने नेपाल और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में कई खुफिया ऑपरेशनों में अहम भूमिका निभाई है।
उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है।
उनकी नियुक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
बोर्ड
क्या होता है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड?
NSAB एक बहुविषयक निकाय है, जिसमें सरकार से बाहर के प्रतिष्ठित लोग शामिल होते हैं।
इसका मुख्य काम राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को दीर्घकालिक विश्लेषण प्रदान करना तथा उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान और उससे जुड़ी अलग-अलग योजनाओं की सिफारिश करना है।
NSAB का गठन पहली बार 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान किया गया था। तब से यह राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
योगदान
कई अहम रक्षा मामलों में NSAB ने दिया है अहम योगदान
NSAB महीने में कम से कम एक बैठक करता है।
2001 में परमाणु सिद्धांत का मसौदा तैयार करना, 2002 में रणनीतिक रक्षा समीक्षा और 2007 में राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा जैसे अहम मामलों में NSAB ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
2018 में बदलाव के बाद बोर्ड में सैन्य, IPS और IFS पृष्ठभूमि से सदस्यों को शामिल किया जाने लगा है।
हालिया पुनर्गठन को रक्षा, खुफिया और कूटनीति में समन्वय को बढ़ावा देने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।