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    केंद्र सरकार का SC से अनुरोध, दया याचिका के लिए दोषियों को मिलें केवल सात दिन

    केंद्र सरकार का SC से अनुरोध, दया याचिका के लिए दोषियों को मिलें केवल सात दिन

    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 22, 2020
    06:51 pm

    क्या है खबर?

    केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फांसी की सजा पा चुके दोषियों के दया याचिका दायर करने के लिए सात दिन की समय सीमा तय करने की मांग की है।

    सरकार ने ऐसे मामलों में रिव्यू और क्यूरेटिव पिटिशन दायर करने के लिए भी समय सीमा तय करने की मांग की है।

    ये याचिका ऐसे समय पर दायर की गई है जब निर्भया गैंगरेप केस के दोषी एक-एक कर याचिका दायर कर रहे हैं।

    याचिका

    सरकार ने कहा, दोषियों की तरफ झुके हुए हैं मौजूदा नियम

    केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि मौजूदा नियम दोषियों की तरफ झुके हुए हैं और उन्हें कानून के साथ खेलने और फांसी में देरी करने का मौका देते हैं।

    सरकार ने कहा है कि न्यायिक प्रक्रिया दोषियों के नहीं बल्कि पीड़ित के पक्ष में होनी चाहिए और इसलिए पीड़ित केंद्रित प्रावधान बनाने चाहिए।

    सरकार ने कहा कि इससे कानून के शासन में लोगों का विश्वास और मजबूत होगा।

    जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट से उसके पुराने आदेश में बदलाव करने का अनुरोध

    केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से शत्रुघन चौहान मामले में उसके 2014 के आदेश में बदलाव करने का अनुरोध किया है जिसमें उसने ये सुनिश्चित करने को कहा था कि दोषियों को उनकी दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही फांसी दी जाए।

    मौजूदा नियम

    क्या हैं मौजूदा नियम?

    मौजूदा नियमों के अनुसार, किसी भी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 30 दिन बाद तक इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है।

    इसके बाद क्यूरेटिव पिटिशन का विकल्प आता है, लेकिन क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए कोई भी निर्धारित समय सीमा नहीं है।

    क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के बाद फांसी की सजा पाए दोषी राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज सकते हैं और इसकी भी कोई समय सीमा नहीं है।

    नियमों का दुरुपयोग

    कानून का फायदा उठा फांसी को टाल रहे निर्भया के दोषी

    कानून की इन्हीं बारीकियों का फायदा उठाकर निर्भया गैंगरेप के चारों दोषी अपनी फांसी को टाल रहे हैं। चारों दोषी एक-एक करके क्यूरेटिव पिटिशन और दया याचिका दायर कर रहे हैं।

    पहले चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दोषी मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज दी।

    दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद फांसी के नियम के कारण 22 जनवरी की फांसी को टालना पड़ा।

    नया डेथ वारंट

    अब 1 फरवरी को होनी है दोषियों को फांसी

    राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के मुकेश की दया याचिका खारिज करने के बाद दिल्ली की एक कोर्ट ने चारों दोषियों का डेथ वारंट दोबारा जारी करते हुए उन्हें 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी देने का आदेश दिया।

    लेकिन बाकी दो दोषियों के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन और तीन दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का अधिकार अभी भी होने के कारण उन्हें 1 फरवरी को फांसी दिया जाना बेहद मुश्किल लग रहा है।

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