क्या ऐसे मिलेगा रेप मामलों में जल्दी न्याय? 15 राज्यों में फास्ट ट्रैक कोर्ट ही नहीं
एक के बाद एक सामने आती रेप और महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं पर देश के गुस्से के बीच एक ऐसा आंकड़ा सामने आया है जो ऐसे अपराधों से सख्ती से निपटने के सरकारों और नेताओं के दावों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। इस आंकड़े के अनुसार, देश के 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश रेप के मामलों में जल्दी से जल्दी न्याय करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स बनाने में असफल रहे हैं।
केंद्र सरकार ने बनाई थी 1,023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की योजना
दरअसल, जुलाई में केंद्र सरकार ने निचली अदालतों में लंबित पड़े रेप और POCSO कानून के तहत दर्ज 1,66,882 मुकदमों को निपटाने के लिए 1,023 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की पहली की थी। इनमें से 389 फास्ट ट्रैक कोर्ट केवल POCSO मामलों के लिए बनाए गए जबकि बाकी रेप और POCSO दोनों तरह के मामलों के लिए थे। 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने भी 1,60,000 POCSO मुकदमों को निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का आदेश दिया था।
एक साल में 165 केस निपटाती एक फास्ट ट्रैक कोर्ट
केंद्र सरकार की पहल के तहत हर फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए एक तिमाही में 41-42 केस निपटाने की योजना थी। इस तरीके से एक साल में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट कम से कम 165 मामले निपटाती।
15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने योजना पर प्रतिक्रिया तक नहीं दी
लेकिन इस पहल के पहले चार महीनों में केंद्र सरकार को राज्यों को वैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली जैसी मिलनी चाहिए थी। अभी तक केवल 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस पहल से जुड़े हैं और केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय ने हाल ही में उन्हें फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के लिए पैसों की पहली किस्त भेजी है। बाकी 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने तो केंद्र सरकार की इस पहल पर प्रतिक्रिया तक नहीं दी है।
प्रतिक्रिया न देने वाले राज्यों में तेलंगाना और उत्तर प्रदेश भी शामिल
जिन राज्यों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है उनमें तेलंगाना और उत्तर प्रदेश भी शामिल हैं जो रेप की घटनाओं को लेकर हाल ही में सबसे अधिक चर्चा में रहे हैं। तेलंगाना के हैदराबाद में एक सरकारी डॉक्टर की रेप के बाद हत्या और उत्तर प्रदेश के उन्नाव में आरोपियों के रेप पीड़िता को जिंदा जलाने की घटनाओं ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। हैदराबाद केस के बाद तेलंगाना में पहला फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाया गया है।
अभी तक बनाए गए 420 फास्ट ट्रैक कोर्ट
वहीं जो 16 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस पहल से जुड़े हैं उनमें कुल 495 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनने हैं जिनमें से 206 केवल POCSO मामलों के लिए होंगे। अभी तक ऐसे 420 कोर्ट बनाए जा चुके हैं और 161 POCSO कोर्ट ने काम करना शुरू कर दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने के लिए दी जाने वाली 100 करोड़ रुपये की पहली किस्त के 89.1 करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं।
इन राज्यों में नहीं हुआ फंडा का पूरा इस्तेमाल
अधिकारियों के अनुसार, जिन राज्यों ने अपने फंड का पूरा हिस्सा नहीं लिया है उनमें केरल, राजस्थान, ओडिशा और दिल्ली शामिल हैं। केरल ने राज्य में बनने वाले 56 फास्ट ट्रैक कोर्ट में से से केवल 28 के लिए पैसे मांगे हैं। इसी तरह राजस्थान ने अपने 45 में से 26 और ओडिशा ने अपने 45 में से 24 कोर्ट के लिए फंड मांगा है। दिल्ली ने भी 16 में से आठ फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए पैसे मांगे हैं।
एक साल के लिए बनाए जाएंगे फास्ट ट्रैक कोर्ट
बता दें कि केंद्र सरकार की इस पहल के तहत एक साल के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे। इसे एक साल के बाद आगे बढ़ाने का फैसला योजना की तीसरी/चौथी तिमाही के दौरान होने वाली समीक्षा के बाद लिया जाएगा।