देश में खुली सिगरेट की बिक्री पर लग सकती है रोक, जानिये अहम बातें
देश में जल्द ही खुली सिगरेटों की बिक्री पर रोक लग सकती है। संसदीय समिति ने सरकार से देश में खुली सिगरेटों की बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश की है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार जल्द ही इन सिफारिशों पर कदम उठाते हुए नियम बना सकती है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आम बजट से पहले इनका ऐलान किया जा सकता है। आइये समझते हैं कि ऐसा कदम क्यों उठाया जा सकता है।
संसदीय समिति ने क्या सिफारिशें की हैं?
संसदीय समिति ने सरकार को बताया है कि खुली सिगरेटों की बिक्री देश में तंबाकू नियंत्रण अभियान को प्रभावित कर रही है। इसलिए इस पर रोक की जरूरत है। इसके अलावा समिति ने सरकार से हवाई अड्डों पर बने स्मोकिंग जोन भी बंद करने की सिफारिश की है। इससे देशभर में तंबाकू उत्पादों की बिक्री में कमी आएगी। बता दें कि पहले भी कई बार सरकार के सामने ऐसे प्रस्ताव आ चुके हैं।
कई राज्यों में पहले ही प्रतिबंधित है खुली सिगरेटों की बिक्री
महाराष्ट्र सरकार ने 2020 में खुली सिगरेटों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सिगरेट पीने वाले लोग इसके बॉक्स पर छपी चेतावनी को देखें, जिस पर चित्र सहित सिगरेट पीने के नुकसान बताए होते हैं। महाराष्ट्र से पहले छत्तीसगढ़ ने भी 2020 और कर्नाटक ने 2017 में ऐसा कदम उठाया था। इस साल मई में इसी मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी।
भारत में खुली बिकती हैं अधिकतर सिगरेट
एक अनुमान के अनुसार, देश में 70 प्रतिशत सिगरेटों की बिक्री खुली होती है। भारत में सिगरेट की डिब्बी की कीमत पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है, लेकिन फिर भी यहां सिगरेट पीने वाले अधिकतर लोग खुली सिगरेट खरीदना पसंद करते हैं। सरकार ने कई मौकों पर तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि महंगी कीमत के चलते खुली सिगरेट की बिक्री बढ़ती है।
क्या है भारत में तंबाकू के उपयोग का पैटर्न?
2016-17 में हुए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार, देश के कुल व्यस्कों में 10.7 प्रतिशत (लगभग 10 करोड़) केवल धूम्रपान के जरिए तंबाकू का सेवन करते हैं और 28.6 प्रतिशत (लगभग 26 करोड़) धूम्रपान और अन्य तरीकों से तंबाकू का सेवन करते हैं धूम्रपान के जरिये तंबाकू का सेवन करने वालों में से लगभग 4.4 प्रतिशत सिगरेट और 7.7 प्रतिशत बीड़ी का सेवन करते हैं। रोज सिगरेट पीने वाले हर महीने औसतन 1,100 रुपये इस पर खर्च करते हैं।
ये है प्रतिबंध के रास्ते में आने वाले चुनौती
देश में अधिकतर खुली सिगरेट कियोस्कों के जरिये बेची जाती है। ऐसे में बड़ी चुनौती यह है कि प्रतिबंध के बाद हर कियोस्क की निगरानी कैसी होगी। जानकार कहते हैं कि इस बात की संभावना कम है कि इससे सिगरेट खरीद में कोई गिरावट आएगी।
खुली सिगरेट पर प्रतिबंध के पक्ष में है अधिकतर लोग
2017 में हुए एक सर्वे में सामने आया था कि 59 प्रतिशत लोगों का मानना है कि देश में खुली सिगरेटों की बिक्री पर रोक लगती है तो लोगों को धुम्रपान से रोका जा सकता है। 8,000 से अधिक लोगों से पूछे गए सवाल में अधिकतर ने कहा कि सिगरेट की आसानी से उपलब्धता के कारण धुम्रपान करना आसान हो गया है। वहीं 68 प्रतिशत ने कहा था कि तंबाकू का सेवन रोकने के लिए कड़े कानून होने चाहिए।
ई-सिगरेट पर पहले ही लग चुकी है रोक
केंद्र सरकार ने 2019 में ई-सिगरेट पर रोक लगा दी थी। इसके बाद देश में ई-सिगरेट का निर्माण, उत्पादन, आयात, निर्यात, वितरण, स्टोरेज और विज्ञापन पर प्रतिबंध लग गया था। ई-सिगरेट बैटरी पर चलने वाली सिगरेट होती है, जिसमें निकोटिन का सॉल्यूशन गर्म होकर भाप के रूप में पीने वाले के फेफड़ों में जाता है। इसे बेचने वाली ज्यादातर कंपनियां विदेशी हैं और उनका दावा था कि ई-सिगरेट पारंपरिक सिगरेटों के मुकाबले कम हानिकारक होती है।