उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के NJAC अधिनियम रद्द करने पर उठाए सवाल, जानें क्या कहा
क्या है खबर?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को रद्द करने पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि इसको लेकर संसद में कोई चर्चा नहीं हुई और यह एक बहुत गंभीर मामला है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में NJAC अधिनियम को खारिज करते हुए कॉलेजियम सिस्टम को बहाल कर दिया था।
प्रतिक्रिया
उपराष्ट्रपति ने क्या कहा?
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में 'हम भारत के लोग' का उपयोग हुआ है और संसद भारत के लोगों की इच्छा को प्रतिबिंबित करती है।
उन्होंने कहा कि NJAC अधिनियम लोकसभा और राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हुआ था और भारत के लोगों की इच्छा एक संवैधानिक प्रावधान में तब्दील हुई थी, लेकिन एक वैध मंच के जरिये सामने आई लोगों की इस शक्ति को पलट दिया गया था।
बयान
उपराष्ट्रपति ने और क्या कहा?
डॉक्टर एलएम सिंघवी स्मृति व्याख्यान को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, "मैं यहां मौजूद बुद्धिजीवियों से अपील करता हूं कि दुनिया में ऐसा कोई उदाहरण खोजें जिसमें किसी संवैधानिक प्रावधान को इस तरह रद्द किया गया हो।"
उन्होंने आगे कहा कि उनका कानून के छात्र के रूप में सवाल यह है कि क्या संसद की स्वायत्तता से समझौता किया जा सकता है और भविष्य की संसद अतीत की संसद के फैसले से बंधी रह सकती है।
विवाद
कानून मंत्री ने भी कॉलेजियम सिस्टम पर उठाया था सवाल
केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने हाल ही में कहा था कि भारत के संविधान के लिए कॉलेजियम सिस्टम एक एलियन की तरह है और केंद्र सरकार इस प्रक्रिया का सम्मान करती है क्योंकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत कोई भी न्यायपालिका का अपमान नहीं कर सकता है।
उन्होंने कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि इसमें कई तरीके की खामियां हैं और यह पारदर्शी नहीं है।
जानकारी
क्या होता है कॉलेजियम सिस्टम ?
सुप्रीम कोर्ट के पांच सबसे वरिष्ठ जजों के समूह को कॉलेजियम कहा जाता है। यह जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर पर फैसला लेता है। तय नामों को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है और राष्ट्रपति इन पर अंतिम मुहर लगाते हैं।
टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने रिजीजू के बयान पर जताई थी आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने रिजीजू के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि जब कॉलेजियम कोई निर्णय लेता है तो वरिष्ठता सहित विभिन्न कारणों को ध्यान में रखा जाता है।
कोर्ट ने आगे कहा था कि किसी बड़े पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था और केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति को लंबित करती है।
कोर्ट ने कहा था कि एक बार नाम दोहराये जाने के बावजूद रोके जाना ठीक नहीं है।