सरकार ने वापस लिया छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती का आदेश
भारत सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज घटाने का आदेश कुछ ही घंटों बाद वापस ले लिया है। बुधवार को मोदी सरकार ने पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और सीनियर सिटीजन सेविंग सर्टिफिकेट (SCSS) आदि पर मिलने वाली ब्याज दरों में कटौती का ऐलान किया था, जिसके बाद ये ब्याज दरें 46 सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थी। गुरुवार सुबह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट कर जानकारी दी कि सरकार इस आदेश को वापस ले रही है।
भूल से जारी हुआ था आदेश- वित्त मंत्री
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार सुबह ट्वीट कर बताया कि यह आदेश भूल से जारी हुआ था और सरकार इसे वापस ले रही है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज की दरें वही बनी रहेंगी, जो पिछली तिमाही में थीं। इस संबंध में जो आदेश जारी किया गया था, उसे वापस लिया जाता है।' इसका मतलब यह हुआ कि लोगों को बैंकों और डाकघरों में जमा धन पर पुरानी दर से ही ब्याज मिलता रहेगा।
यहां देखिये वित्त मंत्री का ट्वीट
अप्रैल-जून तक जारी रहना था आदेश
बुधवार को केंद्र सरकार की तरफ से जारी आदेश के बाद डाकघर की FD, NSC, PPF, RD, PPF और किसान विकास पत्र जैसी योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज में 1.10 प्रतिशत तक की कटौती हो गई थी। यह आदेश अप्रैल-जून तिमाही तक लागू रहना था। जानकारी के लिए बता दें कि सरकार वित्त वर्ष की हर तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों की समीक्षा करती है और जरूरत महसूस होने पर इसमें बदलाव करती है
आदेश लागू होने पर ऐसे होतीं ब्याज दरें
बुधवार को जारी आदेश के बाद डाकघर की RD पर सालाना ब्याज दर 5.8 फीसदी से घटाकर 5.3 फीसदी, मंथली इनकम स्कीम (MIS) की ब्याज दर 6.6 फीसदी से कम कर 5.7 फीसदी हो गई थी। इसी तरह सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम की ब्याज दर को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी सालान कर दिया गया था। इसके अलावा नेशनल सेविंग स्कीम की ब्याज दर 6.8 फीसदी से घटाकर 5.9 फीसदी की गई थी।
PPF और सुकन्या समृद्धि स्कीम की ब्याज दरें होनी थीं कम
इन सब के अलावा सरकार ने PPF की सालाना ब्याज दर 7.1 फीसदी को घटाकर 6.4 फीसदी और सुकन्या समृद्धि स्कीम की 7.6 फीसदी सालाना ब्याज दर को घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया था। इसके साथ-साथ किसान विकास पत्र पर मिलने वाली सालाना ब्याज दर को 6.9 फीसदी से घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया गया था और इसके मैच्योरिटी पीरियड को भी 124 महीनों से बढ़ाकर 138 महीने कर दिया गया था। अब ये फैसला वापस हो गया है।
क्या इन वजहों से वापस हुआ फैसला?
सरकार देश के गरीब और निम्न मध्य आय वर्ग वाले लोगों के लिए छोटी बचत योजनाओं लाती हैं और ऐसी योजनाएं नौकरीपेशा लोगों के बीच भी काफी लोकप्रिय हैं। ब्याज दरों में कटौती के आदेश के बाद ये दरें चार दशकों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थी। इसका सीधा असर आबादी के एक बड़े वर्ग पर होना था। इसके अलावा कुछ लोग आदेश वापसी को चार राज्यों के विधानसभा चुनावों से भी जोड़कर देख रहे हैं।