
गलवान घाटी की झड़प के बाद भारत ने दक्षिण चीन सागर में तैनात किया जंगी जहाज
क्या है खबर?
गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद भारत ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दक्षिणी चीन सागर में जंगी जहाज तैनात किया था।
चीन इस तैनाती से बैचेन हो गया और उसने इसे लेकर भारत के साथ हुई बातचीत में इसे लेकर विरोध भी व्यक्त किया था।
चीन इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की उपस्थिति पर सवाल उठा रहा है, जहां वह कृत्रिम द्वीप और सैन्य उपस्थिति के सहारे अपना दावा कर रहा है।
बयान
"तैनाती का असर भी दिखा"
सरकारी सूत्रों ने मीडिया को बताया, "हमने दक्षिणी चीन सागर में जंगी जहाज तैनात किया था। इसका असर भी दिख रहा है। चीन इसका विरोध कर रहा है और जंगी जहाज की उपस्थिति को लेकर शिकायत भी कर रहा है।"
रणनीति
गुप्त तरीके से की गई थी जहाज की तैनाती
दक्षिणी चीन सागर में अपनी तैनाती के दौरान यह जहाज अमेरिकी नौसेना के बेड़े के संपर्क में था। यह अमेरिकी समकक्षों से गुप्त संचार के जरिये संपर्क में बना हुआ था।
इसके अलावा नियमित प्रक्रिया के इस जहाज को उस इलाके में दूसरे देशों के सैन्य जहाजों की स्थिति के बारे में बताया जा रहा था।
सूत्रों का कहना है कि तैनाती को लोगों की नजरों में आने से बचाने के लिए इसकी तैयारी को काफी गुप्त रखा गया था।
तैनाती
चीनी नौसेना की गतिविधियों पर रखी गई नजर
इसी समय के दौरान भारतीय नौसेना ने अपने जहाजों को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के नजदीक मलाका स्ट्रेट में तैनात किया था।
इसके अलावा चीनी नौसेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक जहाज को उस रास्ते पर भी तैनात किया गया, जहां से वह हिंद महासागर इलाके में प्रवेश करती है।
सूत्रों का कहना है कि भारतीय नौसेना किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पूरी तरह सक्षम है।
हिंसक झड़प
गलवान घाटी में शहीद हुए थे भारत के 20 जवान
गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच मई से ही पूर्वी लद्दाख में सीमा को लेकर विवाद चल रहा है।
यह विवाद उस समय चरम सीमा पर पहुंच गया, जब गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए।
चीन को भी इसमें नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन उसने मरने वाले सैनिकों की संख्या जाहिर नहीं की है।
फिलहाल दोनों देश विवाद सुलझाने में लगे हैं।
बयान
जयशंकर बोले- शांति चाहता है तो समझौतों का पालन करे चीन
सीमा पर मौजूदा स्थिति को 1962 के बाद की 'सबसे गंभीर' बता चुके भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का कहना है कि अगर चीन सीमा पर शांति चाहता है कि उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर हुए समझौतों का पालन करना होगा।
उन्होंने कहा, "दोनों को बीच का रास्ता तलाशने की जरूरत है। हमें एक-दूसरे का ध्यान रखना होगा, एक-दूसरे के लिए जगह बनानी होगी। हाल में जो कुछ हुआ है, उसे देखते हुए यह सब आसान नहीं होगा।"