चीन के साथ विवाद पर बोले विदेश मंत्री जयशंकर, कहा- 1962 के बाद स्थिति सबसे गंभीर
क्या है खबर?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी तनाव को 1962 युद्ध के बाद की सबसे गंभीर स्थिति बताई है।
उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, "यह निश्चित तौर पर 1962 के बाद की सबसे गंभीर स्थिति है। यहां तक कि पिछले 45 सालों में पहली बार सीमा पर हमने सैनिक भी खोए हैं। वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ इस समय जितने सेनाएं तैनात हैं वो अभूतपूर्व है।"
तनाव
गलवान घाटी में शहीद हुए थे भारत के 20 जवान
मई के पहले हफ्ते में आक्रामक रुख अपनाते हुए चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में LAC पर चार जगहों पर आगे आ गए थे।
इनमें पेंगोंग झील के पास स्थित फिंगर्स एरिया, गलवान घाटी (PP14), हॉट स्प्रिंग (PP15) और गोगरा (PP17A) शामिल थे।
फिंगर्स एरिया और गलवान में तो चीनी सैनिक भारतीय इलाके में दाखिल हो गए थे।
गलवान घाटी में ही 15 जून को दोनों देशों के सैनिकों में झड़प हुई थी, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
बयान
सीमा पर शांति ही रिश्तों का आधार- जयशंकर
अपने इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि भारत ने चीन को साफ तौर पर बता दिया है कि सीमा पर शांति ही दो पड़ोसियों के रिश्तों का आधार है। अगर पिछले तीन दशकों से देखें तो यह बात साफ तौर पर नजर आती है।
मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, "कई स्तर की कूटनीतिक और राजनयिक बातचीत के बाद भी चीन और भारत की सेनाएं पूर्वी लद्दाख में तीन महीेने से ज्यादा समय से आमने-सामने हैं।"
समाधान का तरीका
बातचीत के जरिये सुलझाए गए पहले हुए विवाद- जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि पहले हुए सीमा विवादों को कूटनीतिक स्तर पर सुलझाने का जिक्र करते हुए कहा कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए हरसंभव काम करेगा।
उन्होंने कहा, "बीते 10 सालों को देखें तो डेप्सांग, चुमार और डोकलाम में सीमा को लेकर विवाद हुए। एक तरह से हर एक अलग विवाद था। यह भी अलग तरह का है, लेकिन इन सबमें एक साझी बात यह थी कि इन्हें कूटनीतिक स्तर पर सुलझा लिया गया था।"
सीमा विवाद
जयशंकर ने सुझाया यह समाधान
विदेश मंत्री ने कहा कि चीन के साथ तनाव का समाधान यथास्थिति को बिगाड़े बिना पूर्व में हुए सभी समझौता का सम्मान करने से हो सकता है।
उन्होंने कहा, "जैसा आप जानते हैं कि हम चीन से सैन्य और कूटनीतिक जरिये से बातचीत कर रहे हैं और ये दोनों साथ-साथ हो रहे हैं।"
दरअसल, भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। इसके लिए सालों से बातचीत चल रही है।