सीमा के पास 5G नेटवर्क लगा रहा चीन, पेंगोंग झील के पास भी दिखे नए ढांचे
सीमा पर जारी तनाव को सुलझाने के लिए हो रही बैठकों के बीच चीन लद्दाख के उन क्षेत्रों में निर्माण कार्य कर रहा है, जहां विवाद बना हुआ है। इसमें डेमचोक इलाके के पास 5G नेटवर्क तैयार करना भी शामिल है। खुफिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास बेहतर संचार के लिए 5G नेटवर्क तैयार कर रहा है। इस महीने की शुरुआत से ही डेमचोक के पास इससे जुड़ी गतिविधियां देखी गई हैं।
पेंगोंग झील के पास चीन का नया निर्माण
इंडिया टूडे के अनुसार, पेंगोंग झील के पास भी चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) नया निर्माण कार्य कर रही है। यहां पर झोपड़ियां और शेड्स बनाए जा रहे हैं। चीनी सैनिक पिछले चार महीनों से यहां डटे हुए हैं।
सीमा पर स्थिति में खास परिवर्तन नहीं
कई चरणों की बातचीत के बाद बनी सहमति के बाद दोनों देशों के सैनिक कुछ स्थानों से मामूली पीछे हटे थे। उसके बाद से स्थिति में कोई खास परिवर्तन नहीं देखा गया है। चीनी सेना फिंगर एरिया 4 से पीछे हटकर 5 पर डट गई है, लेकिन वह यहां से और पीछे जाने से इनकार कर रही है। चीन का कहना है कि अगर उसकी सेना पीछे हटती है तो भारत को भी ऐसा करना होगा।
आमने-सामने तैनाती से पीछे हटे सैनिक
भारत ने भी अपनी सेना को फिंगर एरिया 4 से थोड़ा पीछे हटा लिया है, जहां ये सैनिक चीनी सेना के बिल्कुल सामने तैनात थे। हालांकि, भारत इससे पीछे हटने को तैयार नहीं है। भारत का कहना है कि सीमा पर अप्रैल के समय वाली स्थिति कायम होनी चाहिए, लेकिन चीन इस पर राजी नहीं है। चीन ने फिंगर एरिया 5-8 तक अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया है। वह सर्दियों को देखते हुए अपना इंतजाम कर रहा है।
"पीछे हटना मतलब अपने नियंत्रण वाला इलाका छोड़ना"
मौजूदा गतिरोध के बारे में बात करते हुए एक भारतीय अधिकारी ने कहा, "चीन की मांग है कि अगर उसके सैनिक पीछे हटेंगे तो भारत को भी पेंगोंग झील में पीछे हटना होगा। इस वजह से यह गतिरोध सुलझ नहीं रहा है क्योंकि अगर भारत और पीछे हटता है तो इसका मतलब यह होगा कि हम पहले हमारे नियंत्रण में होने वाले इलाके को छोड़ रहे हैं। इससे यथास्थिति में बदलाव आ जाएगा।"
मई से जारी है सीमा पर तनाव
चीन और भारत के बीच पूर्वी लद्धाख में सीमा को लेकर मई से विवाद जारी है। अलग-अलग रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कुछ इलाकों में चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए हैं। यह विवाद जून में उस वक्त हिंसक हो गया था जब दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। इसमें भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद से तनाव कम करने के लिए लगातार कई स्तरों पर बातचीत चल रही है।
विदेश मंत्री ने बताई 1962 के बाद की सबसे गंभीर स्थिति
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ चल रहे तनाव को 1962 युद्ध के बाद की सबसे गंभीर स्थिति बताई है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि यह निश्चित तौर पर 1962 के बाद की सबसे गंभीर स्थिति है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ इस समय जितने सेनाएं तैनात हैं वो अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि तनाव का समाधान यथास्थिति को बिगाड़े बिना पूर्व में हुए सभी समझौता का सम्मान करने से हो सकता है।