लोकसभा चुनाव: जानिये, कैसे होती हैं दुनिया के सबसे बड़े चुनावों की तैयारियां
क्या है खबर?
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंंत्र भारत में आम चुनाव शुरू हो गए हैं। 11 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग के साथ शुरू हुए ये चुनाव 19 मई तक चलेंगे।
23 मई को इन चुनावों के नतीजे घोषित किए जाएंगे और देश एक नई सरकार देखेगा।
इन चुनावों में लगभग 90 करोड़ लोग वोट डालेंगे। ऐसे में यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव होगा।
आइये, जानते हैं कि इन चुनावों के पीछे की तैयारियां कैसी होती हैं।
तैयारियां
सुरक्षाबलों की आवाजाही पर आएगा 200 करोड़ का खर्च
पहले चरण की वोटिंग से लेकर आखिरी चरण की वोटिंग तक यानी 11 अप्रैल से 19 मई तक केंद्रीय बलों के लगभग 2.5 लाख जवान देश के एक हिस्से से दूसरे तक आएंगे-जाएंगे।
अलग-अलग जगहों पर इन जवानों को लाने-ले जाने के लिए 25 हेलिकॉप्टर, 500 से ज्यादा ट्रेनें, 17,000 से ज्यादा वाहन, सैंकड़ों घोड़े और खच्चर और सैंकड़ों नावों का सहारा लिया जाएगा।
इस पूरी कवायद पर लगभग 200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
प्लानिंग
चुनाव आयोग, CRPF और गृह मंत्रालय की तैयारियां
देशभर की 543 लोकसभा सीटों पर 90 करोड़ लोग वोट डालेंगे। उनके लिए 10 लाख से ज्यादा बूथ बनाए जाएंगे।
इतनी बड़ी व्यवस्था के लिए पूरी मेहनत, प्लानिंग, संसाधनों, संयोजन और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। वहीं देश की विविधता, जातीय और सांप्रदायिक हिंसा की आशंका, आतंकवाद और नक्सलवादी हमलों के खतरों के बीच यह चुनौती और भी बड़ी हो जाती है।
इन सबसे निपटने के लिए चुनाव आयोग, गृह मंत्रालय और CRPF तीनों मिलकर तैयारियां करते हैं।
जिम्मेदारी
इनके जिम्मे होता है चुनाव का पूरा काम
देश में चुनाव कराने का जिम्मा चुनाव आयोग के पास होता है। चुनाव आयोग चुनावों के लिए शेड्यूल तैयार करने और कर्मचारियों की तैनाती आदि कामों को देखता है।
गृह मंत्रालय चुनाव आयोग से सलाह-मशविरा कर सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अलावा यह कर्मचारियों को लाने-ले जाने के लिए रेलवे और दूसरे मंत्रालयों से संपर्क करता है।
वहीं CRPF चुनाव में सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होती है।
शेड्यूल
ऐसे तैयार होता है चुनावों का शेड्यूल
चुनावों की तारीखें तय करते वक्त चुनाव आयोग विशेष सावधानी के साथ काम करता है।
किसी भी राज्य के चुनावी कार्यक्रम को तय करने से पहले वहां के त्यौहार और दूसरी चीजों का ध्यान रखा जाता है।
जैसे पूर्वोत्तर में अधिकतर लोग रविवार को चर्च जाते हैं, इसलिए इन राज्यों में रविवार को वोटिंग नहीं होगी।
ऐसे ही किसी भी बड़े त्यौहार के दिन वोटिंग शेड्यूल नहीं रखा जाता है। पूरे देश के लिए यही प्रक्रिया अपनाई जाती है।
मूवमेंट
सुरक्षाबलों की आवाजाही
चुनाव आयोग से वोटिंग की संभावित तारीखें मिलने के बाद गृह मंत्रालय और सुरक्षा बल अपनी योजनाएं बनाते हैं।
यह देखा जाता है कि किस बल की कौन सी कंपनी सबसे कम समय और संसाधनों में किसी स्थान पर पहुंच सकती है।
साथ ही यह भी देखा जाता है कि वोटिंग के दिन सुरक्षा बलों को वहां भेजा जा सकता है या नहीं।
सुरक्षाबलों को जाने में लगने वाले समय के हिसाब से तारीखों का चयन किया जाता है।
रहने का प्रबंध
राज्य सरकारें करती है सुरक्षाबलों के ठहरने का प्रबंध
इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की आवाजाही और उनके खाने का प्रबंध करना एक बड़ी चुनौती होती है।
इनके रहने का प्रबंध राज्य सरकारें करती हैं। वहीं राज्यों की पुलिस इनके सामान की देखरेख करती है।
सुरक्षाबलों के सामान का ध्यान रखना पुलिस की जिम्मेदारी होती है। CRPF और दूसरे केंद्रीय बलों के साथ-साथ पुलिस भी अपने राज्यों में तैनात होती है।
ट्रेन में सफर के दौरान सुरक्षाबलों के खाने की जिम्मेदारी रेलवे की होती है।