बिहारः दिमागी बुखार से मरने वालों की संख्या 100 पार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री पटना पहुंचे
बिहार में दिमागी बुखार का कहर जारी है। रविवार को इसकी चपेट में आकर मरने वालों की संख्या 84 पार कर गई है। मुजफ्फरपुर में इसका सबसे बुरा प्रभाव देखने को मिला है और यहां सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। रविवार को यहां तीन और बच्चों की मौत हो गई। वैशाली में 10, मोतिहारी में दो और बेगूसराय में एक बच्चे की जान गई है। इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन पटना पहुंच चुके हैं।
अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे हर्षवर्धन
केंद्रीय मंत्री अपने दौरे के दौरान मुजफ्परपुर भी जाएंगे, जहां इस बुखार का सबसे ज्यादा कहर बरपा है। इसके अलावा वो राज्य में दिमागी बुखार (एक्युट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम) की स्थिति का जायजा लेने भेजी गई केंद्रीय टीम से भी मिलेंगे। इसके बाद वो राज्य स्तर के अधिकारियों के साथ एक रिव्यू मीटिंग करेंगे। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और दिमागी बुखार से लड़ने के लिए राज्य सरकार की मदद कर रही है।
लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या
इस बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी का प्रकोप उत्तरी बिहार के मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी और वैशाली जिले में सबसे ज्यादा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जिलों के सभी डॉक्टर्स और जिला प्रशासन ने पीड़ितों को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कहा है। स्वास्थ्य सचिव पूरे मामले पर नजर रख रहे हैं, लेकिन अस्पतालोंं में डॉक्टरों की कमी बड़ी समस्या बनी हुई है।
क्या है दिमागी बुखार?
दिमागी बुखार एक खतरनाक बीमारी है, जो कई कारणों से फैलती है। बच्चों में रब्बिस वायरस, हर्पिस सिम्प्लेक्स पोलियो वायरस, खसरे का विषाणु और छोटी चेचक के विषाणु की वजह से यह बीमारी हो जाती है। जिन बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, उन्हें बहुत जल्दी यह बुखार अपनी चपेट में ले लेता है। यह बुखार खतरनाक जीवाणु इन्सेफेलाइटिस के संक्रमण से होता है, जो शरीर में अपना वायरस तेज़ी से फैलाता है।
ये हैं दिमागी बुखार के लक्षण
जिन बच्चों को यह बुखार होता है, उनके शरीर में ऐंठन होती है और बच्चा बेहोश हो जाता है। इसके अलावा उसे उल्टी आती है और चिड़चिडेपन की शिकायत भी रहती है। चमकी यानी दिमागी बुखार होने पर दिमाग में सूजन भी हो जाती है।
कैसे करें बचाव
दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों को पूरी तरह आराम करवाएँ। बच्चा बहकी-बहकी बात कर रहा हो तो बिना झल्लाएं उसकी बातों का जवाब बिना दें। उसके मानसिक संतुलन को बिगड़ने न दें। इस समय उसे ख़ास ख़्याल की ज़रूरत होती है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों को जितना शांत और अंधेरे कमरे में रखेंगे, वह उतनी ही जल्दी ठीक होगा। पीड़ित बच्चे को टीवी और मोबाइल से दूर रखें, वरना उन्हें सिरदर्द की समस्या हो सकती है।