योगी आदित्यनाथ के खिलाफ याचिका लगाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता को गैंगरेप के मामले में उम्रकैद
उत्तर प्रदेश की गोरखपुर जिला अदालत ने 65 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता परवेज परवाज को 2018 में हुए एक गैंगरेप के मामले में एक अन्य के साथ उम्र कैद की सजा सुनाई है। 2007 में परवेज ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से तत्कालीन लोकसभा सांसद योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के लिए FIR दर्ज करने का आदेश देने की मांग की थी। 2018 में हाई कोर्ट ने सरकार को योगी के खिलाफ मामले न चलाने की मंजूरी दे दी थी।
2018 में हुई थी गिरफ्तारी
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद आए हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ परवेज ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक 40 वर्षीय महिला ने परवेज और 66 वर्षीय जुम्मन बाबा पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। सितंबर, 2018 में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उम्र कैद की सजा मिलने के बाद परवेज के वकील ने कहा है कि वो इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
दोनों दोषियों पर 50,000 रुपये का जुर्माना
पीड़ित महिला ने अपनी शिकायत में कहा था कि वह 3 जून, 2018 को अपने वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों का समाधान लेने के लिए जुम्मन बाबा के पास गई थी। जुम्मन बाबा ने उन्हें एकांत में ले जाकर बंदूक की नोक पर 'जिसे जुम्मन बाबा परवेज भाई कह रहे थे' के साथ मिलकर उसका गैंगरेप किया था। इस मामले में जिला अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई और 25,000-25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
दोषियों के वकील का आरोप- बिना बहस पूरी हुए सुनाया गया फैसला
दोनों दोषियों से लिए गए जुर्माने में 40,000 रुपये पीड़िता को दिए जाएंगे। मामले में फैसला आने के बाद परवेज के वकील मिफ्ताहुल इस्लाम ने आरोप लगाया कि अदालत ने बचाव पक्ष को अपनी दलीलें नहीं रखने दीं। उन्होंने कहा, "बहस पूरी होने से पहले ही फैसला सुना दिया गया। बहस नहीं हुई थी और हमें हमारी लिखित दलील रखने का मौका नहीं दिया गया।" वहीं सरकारी वकील का कहना है कि अदालत ने पूरा समय दिया था।
सरकार ने नहीं थी योगी के खिलाफ मुकदमा चलाने की इजाजत
मई, 2017 में सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने योगी आदित्यनाथ समेत पांच भाजपा नेताओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण मामलेे में कार्रवाई करने की इजाजत नहीं दी थी। राज्य सरकार का कहना था कि 2014 में सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री में भेजे गए वीडियो सबूत (CD) में 'छेड़छाड़' की गई थी। सरकार के इस फैसले के खिलाफ परवेज और उसके साथियों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में रिट पीटिशन दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित है SLP
फरवरी, 2018 में हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद परवेज और उसके साथी सुप्रीम कोर्ट गए थे, जहां उनकी स्पेशल लीव पीटिशन (SLP) अभी तक लंबित है।