न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च, सड़कों पर लगेगा जाम
पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पिछले 8 महीनों से डेरा जमाए किसान शुक्रवार को 'दिल्ली चलो' मार्च की शुरूआत करेंगे। इससे दिल्ली-NCR में एक बार फिर भयानक ट्रैफिक जाम होने की संभावना है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) समेत कई मांगों पर केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए संसद तक विरोध मार्च करेंगे, जिसकी शुरूआत दोपहर 1 बजे होगी। किसानों को दिल्ली में प्रवेश से रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने भारी बल तैनात किया है।
ट्रैक्टर की जगह पैदल करेंगे मार्च, शामिल होंगे सिर्फ 100 किसान
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर इस विरोध मार्च में भारतीय किसान यूनियन-एकता, किसान मजदूर मोर्चा (KMM) समेत हरियाणा की कई यूनियन शामिल हैं। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसान विरोध मार्च ट्रैक्टर से नहीं बल्कि पैदल निकालेंगे और शंभू बॉर्डर से 100 किसान इसमें शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि किसान पिछले 8 महीनों से बॉर्डर पर बैठे हैं और उनके ऊपर ट्रैक्टरों को मॉडिफाई करने का आरोप लगा है, इसलिए वे पैदल ही जाएंगे।
दिल्ली-NCR में लग सकता है भारी जाम
किसानों के विरोध मार्च को देखते हुए सभी सीमाओं पर कड़ी सुरक्षा की गई है और बैरीकेड्स लगाए गए हैं। ऐसे में यहां आने-जाने वाले वाहनों की रफ्तार थम सकती है। अगर किसानों का मार्च दिल्ली में प्रवेश करता है तो भीषण ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ सकता है। कुछ दिन पहले नोएडा के किसानों के पैदल और ट्रैक्टर मार्च के कारण गाजीपुर बॉर्डर पर लंबा जाम लग गया था और वाहनों की लंबी कतार दिखी थी।
किसानों को रोकने के किए गए हैं इंतजाम
विरोध मार्च को देखते हुए अंबाला के पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक ने गुरुवार शाम को शंभू बॉर्डर का दौरा किया। यहां पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अलावा ड्रोन, वाटर कैनन तैनात है और बॉर्डर सील कर दिया गया है। अंबाला प्रशासन ने धारा- 163 लागू की है, जिसके तहत 5 लोगों से ज्यादा के जमा होने पर पाबंदी है। यहां सरकारी और निजी स्कूल बंद है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि किसानों को दिल्ली मार्च की अनुमति नहीं है।
किसानों की क्या है मांग?
किसानों की मांग है कि MSP के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न की जाए। इसके अलावा वे 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय और भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने की मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि 2020-21 आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा मिले और किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस हों।