कोरोना संकट के बीच मई में मनरेगा के तहत काम की मांग में बड़ी गिरावट
मई में जब कोरोना वायरस गांवों में कहर मचा रहा था, तब देश के ग्रामीण इलाकों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम की मांग कम हुई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल मई में देशभर में 2.18 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया जो पिछले साल मई की तुलना में 34 प्रतिशत कम है। तब 3.30 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया था।
मई, 2019 के बराबर रहे इस मई के रोजगार के आंकड़े
मनरेगा की वेबसाइट पर उपलब्ध डाटा के विश्लेषण के अनुसार, इस साल मई में मनरेगा के तहत रोजगार के आंकड़े महामारी से पहले के 2019 के आंकड़ों के लगभग बराबर रहे। मई, 2019 में लगभग 2.10 करोड़ ग्रामीण परिवारों को मनरेगा के तहत काम दिया गया था। मई का आंकड़ा अप्रैल, 2021 की तुलना में भी थोड़ा अधिक है जब देशभर में 2.12 करोड़ ग्रामीण परिवारों ने इस योजना के तहत काम किया था।
लगभग सभी राज्यों में कम हुई मांग
विश्लेषण के अनुसार, मई में लगभग हर राज्य में मनरेगा के तहत काम की मांग कम रही और केवल मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, असम, पंजाब और झारखंड इस गिरावट से अछूते रहे। 15 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तो ऐसे रहे जहां मनरेगा के तहत की मांग मई, 2019 से भी कम रही। इनमें लक्षद्वीप, लद्दाख, पुडुचेरी, केरल, राजस्थान, अंडमान और निकोबार, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, सिक्किम, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, महाराष्ट्र, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और असम शामिल रहे।
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक गिरावट
बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश में काम की मांग में सबसे अधिक गिरावट देखने को मिली और यहां मई में मात्र 8.08 लाख परिवारों ने मनरेगा के तहत काम किया जो पिछले साल मई में 47.29 लाख परिवारों के मुकाबले 83 प्रतिशत कम रहा। वहीं महामारी से पहले 2019 के मुकाबले इसमें 29 प्रतिशत गिरावट आई। मई, 2019 में राज्य के 11.33 लाख परिवारों को मनरेगा के तहत काम मिला था।
कोरोना के कारण आई काम की मांग में गिरावट- अधिकारी
उत्तर प्रदेश के एक अधिकारी ने मनरेगा की मांग में आई इस कमी के लिए कोरोना वायरस महामारी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "जब ग्रामीण इलाकों में मामले बढ़ रहे थे, तब पूरे राज्य में विभिन्न जगहों पर रोजाना 1-1.5 लाख लोग मनरेगा के तहत काम कर रहे थे। जब मामले घटने लगे तो यह आंकड़ा 7.5 लाख प्रतिदिन तक पहुंच गया।" उन्होंने कहा कि पिछले साल 26 जून को राज्य में 62 लाख लोगों ने काम किया था।
पिछले साल मई में रोजगार देने के मामले में शीर्ष पर था उत्तर प्रदेश
पिछले साल स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत थी और मई में उत्तर प्रदेश ने सबसे अधिक लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार दिया था। इसके बाद राजस्थान और आंध्र प्रदेश का नंबर रहा। इस साल भी आंध्र की रैकिंग ऊंची रही है, वहीं मध्य प्रदेश और तेलंगाना शीर्ष तीन राज्यों में हैं। हालांकि उत्तर प्रदेश की तरह केरल में भी मांग में भारी गिरावट हुई है और यहां मई, 2020 के मुकाबले 83 प्रतिशत कम परिवारों ने मनरेगा में काम किया।