
पिछले साल 2024 में 10.4 प्रतिशत बढ़ी बिजली की मांग, AC का जमकर हुआ इस्तेमाल
क्या है खबर?
पिछले साल 2024 में अप्रैल से जून के बीच भीषण गर्मी की वजह से भारत में बिजली की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई और यह 10.4 प्रतिशत पहुंच गई थी।
यह जानकारी वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर के ग्लोबल इलेक्ट्रिसिटी रिव्यू के छठे संस्करण की रिपोर्ट में सामने आई है।
इसमें बताया गया कि 2024 में वैश्विक बिजली की मांग में बढ़ोतरी के करीब पांचवें हिस्से के लिए लू जिम्मेदार थीं। इससे जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन भी बढ़ा था।
बिजली
AC ने एक तिहाई बिजली बढ़ाने में योगदान दिया
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में 2024 में अप्रैल से सितंबर के बीच भीषण गर्मी का आकलन इसी से किया जा सकता है कि 2024 में बिजली की मांग 2023 की इसी अवधि की तुलना में 6.1 प्रतिशत अधिक थी।
इस बढ़ोतरी का 19 प्रतिशत उच्च तापमान के कारण था।
रिपोर्ट में बताया कि गर्मी की वजह से लोगों ने AC खूब खरीदे, जिससे बिजली की मांग में साल-दर-साल एक तिहाई से अधिक की बढ़ोतरी हुई।
मांग
10 साल में लगेंगे 13 से 15 करोड़ AC
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय घरों में अगले 10 साल में 13 से 15 करोड़ नए AC लगेंगे, जिससे 2035 तक बिजली की अधिकतम मांग 180 गीगावट से अधिक बढ़ सकती है और बिजली ग्रिड पर भी दबाव पड़ेगा।
वहीं, इस साल गर्मी में बिजली की अधिकतम मांग में 9 से 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की संभावना है।
बता दें कि भारत में बिजली उपयोग का हिस्सा 2012-13 में 22 प्रतिशत था, जो 2022-23 में 25 प्रतिशत हो गया है।
अध्ययन
भारत में अधिक होगी ठंड रखने की मांग
ऑक्सफोर्ड इंडिया सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के एक शोध में कहा गया है कि पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में विश्व 2 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म है।
ऐसे में जनसंख्या के आधार पर भारत में सबसे अधिक ठंड रखने की मांग होगी। इसके बाद चीन, नाइजीरिया, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ब्राजील, फिलीपींस और अमेरिका का स्थान होगा।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) कह चुका है कि अप्रैल-जून तक देश में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा और कई इलाकों में भीषण गर्मी पड़ेगी।
जानकारी
2024 सबसे अधिक गर्म रहा था
पिछला साल 2024 भारत और दुनिया के लिए सबसे गर्म वर्ष था। इस साल, 27-28 फ़रवरी में ही लू जैसी स्थिति थी। एक अध्ययन के मुताबिक, 21वीं सदी में लू का खतरा दस गुना बढ़ेगा, जिसमें भारत का 70 प्रतिशत से अधिक भू-भाग प्रभावित होगा।