अल नीनो के कारण देश में 5 साल में सबसे कम रहा मानसून
भारत में इस साल मानसून थोड़ा सुस्त रहा और अल नीनो के कारण मानसूनी बारिश 2018 के बाद पिछले 5 साल में सबसे कम दर्ज की गई। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि जून से सितंबर के दौरान देश में बारिश लंबी अवधि के औसत का 94 प्रतिशत रही, जो 2018 के बाद से सबसे कम है। IMD ने अल नीनो का प्रभावि सीमित मानते हुए 4 प्रतिशत कम वर्षा का अनुमान लगाया था।
किस महीने में कितनी बारिश हुई?
IMD के मुताबिक, मानसून असमान होने की वजह से बारिश के आगमन में देरी के कारण जून में बारिश औसत से 9 प्रतिशत कम थी, लेकिन जुलाई में औसत से 13 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। IMD ने कहा कि अगस्त सबसे सूखा था और इस दौरान 36 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। सितंबर में फिर से बारिश हुई और देश में सामान्य से 13 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
अक्टूबर से दिसंबर तक बारिश की उम्मीद
IMD के मुताबिक, देश में अक्टूबर से दिसंबर के दौरान सामान्य बारिश हो सकती है। हालांकि, अक्टूबर में देश के कई हिस्सों में तापमान सामान्य से ऊपर रह सकता है। बता दें कि कम बारिश की वजह से चीनी, दाल, चावल और सब्जियों जैसे मुख्य खाद्य पदार्थ महंगे हो सकते हैं और महंगाई दर बढ़ सकती है। भारत चावल, गेहूं और चीनी के निर्यात पर अधिक प्रतिबंध भी लगा सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
प्रशांत महासागर के जल के गर्म होने की स्थिति को अल नीनो कहा जाता है, जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में शुष्क परिस्थितियों के साथ आता है। इससे मानसून पर प्रभाव पड़ता है और राज्यों में बारिश कम होती है।